
स्त्रियों के जीवन की चुनौतियों और उपलब्धियां विचारणीयः कुलपति प्रो बिमल सिंह
दुमका, 26 मार्च (Udaipur Kiran) ।सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार बुधवार से प्रारंभ हुआ। सेमिनार जेंडर संवेदनशीलता’ विषय पर आयोजित हुई। सेमिनार कुलपति प्रो. बिमल प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुईं। सेमिनार के उद्घाटन सत्र में तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जवाहर प्रसाद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सेमिनार में देशभर से लगभग दस महिला अध्ययन के क्षेत्र की प्रमुख हस्तियां वक्ता के रूप में शामिल हुईं। सेमिनार में लगभग 100 शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। यह सेमिनार राज्य सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से पीएम उषा योजना के तहत प्रायोजित है।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर अतिथियों का पारंपरिक लोटा-पानी से स्वागत एवं स्वतंत्रता सेनानी वीर सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद विश्वविद्यालय के कुलगीत और दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई।
अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। मंच का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग की शोध छात्रा वैशाली और स्मिधा ने की। कार्यक्रम की शुरुआत में डीएसडब्ल्यू डॉ जैनेंद्र यादव ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने इस विषय को रचनात्मक चिंतन के लिए आवश्यक बताया, ताकि इस दिशा में अपेक्षित प्रयास किए जा सकें।
इसके बाद इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर अमिता कुमारी ने स्त्री संघर्ष की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्त्रियां झारखंड में अर्थव्यवस्था और परिवार की रीढ़ हैं। लेकिन निर्णय लेने में वे पीछे रहती हैं। उनके रचनात्मक योगदान को सही संदर्भ में नहीं देखा जाता है।
मुख्य अतिथि तिलका मांझी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जवाहर लाल ने महिला सशक्तिकरण पर विचार साझा करते हुए इस मुद्दे की समसामयिकता पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए उनकी संघर्षों में सहभागिता की सराहना की। डॉ. जवाहरलाल ने कहा कि झारखंड में स्त्रियों को आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता होने के बावजूद उनके पास अपने आय को खर्च करने का अधिकार नहीं है। इस पर उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में भूमिपुत्र संथाल परगना के डॉ धुनी सोरेन को सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो जवाहर प्रसाद ने प्रधानमंत्री की ओर से किये जा रहे स्किल डेवलपमेंंट
की बातों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में तेज़ी से काम करने पर बल दिया। अंत में संयोजक डॉ. अजय सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि यह आयोजन राज्य के 25 वर्षों और भारतीय गणराज्य के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में किया गया है। इसका उद्देश्य यह देखना है कि झारखंड की महिलाएं इस दौरान भारत के संदर्भ में कहां खड़ी हैं और भारत की महिलाएं विश्व पटल पर कहां स्थान रखती हैं। पहला तकनीकी सत्र “झारखंड में लिंग और उच्च शिक्षा के बीच अंतर को कम करने“ विषय पर प्रो. रंजना श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई।
सत्र में पैनलिस्ट के रूप में डॉ. अनघा ताम्बे, डॉ. अचुयत चेतन और ममता कुमारी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए लिंग समानता की दिशा में आवश्यक कदमों पर प्रकाश डाला। पहले दिन के अंतिम सत्र में शोधार्थियों ने महिला विमर्श पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत की। इनमें विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। यह सत्र महिला सशक्तिकरण और शिक्षा में समानता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।
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(Udaipur Kiran) / नीरज कुमार
