
नई दिल्ली, 25 मार्च (Udaipur Kiran) । भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मानव कॉर्निया और एमनियोटिक झिल्ली ग्राफ्ट को ड्रोन के माध्यम से सफलतापूर्वक पहुंचाने का काम किया है। ड्रोन ने डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल (सोनीपत केंद्र) से कॉर्निया के ऊतकों को राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई), एम्स झज्जर तक पहुंचाया। दोनों शहरों के बीच की दूरी ड्रोन के जरिए लगभग 40 मिनट में तय की गई, जिसे सड़क मार्ग से तय करने में आमतौर पर 2-2.5 घंटे लगते हैं। मानव कॉर्निया को बाद में एम्स दिल्ली लाया गया।
इस सफल परीक्षण के बाद मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि आई-ड्रोन प्लेटफॉर्म की कल्पना मूल रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान दूरदराज के क्षेत्रों में टीके पहुंचाने के लिए की गई थी। तब से, हमने अपने प्रयासों को आगे बढ़ाया है और इसमें अधिक-ऊंचाई और सब-जीरो वाले स्थानों पर रक्त उत्पादों और आवश्यक दवाओं की कम तापमान वाली डिलीवरी शामिल की। यह कॉर्निया परिवहन संबंधी अध्ययन इस दिशा में एक और कदम है। इससे समय पर प्रत्यारोपण सुनिश्चित हो सकेगा और अत्यधिक बोझ वाले तृतीयक अस्पतालों पर दबाव को कम करेगा। उन्होंने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री के नवाचार द्वारा संचालित आत्मनिर्भर भारत के विजन के साथ पूरी तरह से मेल खाती है। ड्रोन-आधारित हेल्थकेयर लॉजिस्टिक्स एक भविष्य हैं और भारत इसे उन क्षेत्रों में लागू करके अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जहां जीवन बचाना और दृष्टि बहाल करना सबसे अधिक मायने रखता है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार पीयूष श्रीवास्तव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वास्थ्य और विमानन क्षेत्रों के बीच यह सहयोग तकनीक-सक्षम सामाजिक प्रभाव का एक प्रेरक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कॉर्निया डिलीवरी के लिए ड्रोन का उपयोग घरेलू समाधानों का उपयोग करके वास्तविक दुनिया की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को हल करने की भारत की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है। ड्रोन भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में समय पर चिकित्सा वितरण के लिए एक स्केलेबल समाधान प्रदान करते हैं।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
