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भारतीय युवा कांग्रेस ने किया जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

नई दिल्लीः जंतर मंतर पर मंगलवार को युवा कांग्रेस के प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला

नई दिल्ली, 25 मार्च (Udaipur Kiran) । भारतीय युवा कांग्रेस ने नौकरी दो, जंजीरें नहीं की मांग को लेकर मंगलवार को जंतर – मंतर पर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब के नेतृत्व में प्रदर्शन किया। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव नीरज कुंदन की उपस्थित में सभी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं के विशेष सत्र बुलाने की मांग की।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस देश का नौजवान रोजी-रोटी के लिए तरस रहा है। पहले माता पिता पढ़ाते हैं फिर बच्चे को विदेश भेजते हैं। वहां पर मौत हो जाने पर लाखों रुपये खर्च कर उसका शव भारत लाना पड़ता है। उन्होंने पिछले दिनों अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों की चर्चा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि जिस तरह से अमेरिका से भारतीय नौजवानों को जंजीरों में जकड़ कर वापस भेजा गया, वह अत्यंत शर्मनाक है। आज 22 करोड़ बच्चे 7 लाख रिक्त पदों के लिए आवेदन करते हैं। देश में 20 लाख पद केंद्र सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों में रिक्त हैं लेकिन भरे नहीं जा रहे हैं। नौकरी दो, जंजीरें नहीं की बात कहते हुए उन्होंने मांग की कि बेरोजगारी के मुद्दे पर देश की संसद और विधानसभाओं का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।

इस अवसर पर भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब ने कहा कि अमेरिका से भारतीय नागरिकों को जिस अमानवीय तरीके से भारत भेजा गया है। उनके हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीर थी। ये विश्व पटल पर भारत और भारतीयों का अपमान है।

उदय भानु चिब ने कहा कि केंद्र सरकार यह बताए कि वो देश के युवाओं की बेरोजगारी को खत्म करने के लिए क्या कर रही है। उन्होंने कहा कि आज देश का युवा सड़कों पर जवाब मांगने के लिए उतरा है। सड़क से लेकर संसद तक युवा कांग्रेस देश के नागरिकों के हक और सम्मान के लिए लड़ती रहेगी।

प्रदर्शनकारी युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उदय भानु चिब के नेतृत्व में जंतर मंतर से संसद भवन जाने का प्रयास किया लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया लेकिन बाद में छोड़ दिया गया।

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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी

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