
सामाजिक कार्यकर्ता बजरंग इंदल ने टीम के साथ बोधगया पहुंचकर धरनारत आंदोलनकारियों को दिया समर्थनविश्व प्रसिद्ध महाबोधि बुद्ध मंदिर की मुक्ति के आंदोलन को 42 वें दिन हिसार से मिला समर्थन
हिसार, 25 मार्च (Udaipur Kiran) । बिहार के बोधगया में विश्व प्रसिद्ध महाबोधि महाविहार बुद्ध मंदिर की मुक्ति के लिए चल रहा धरना-प्रदर्शन मंगलवार काे 42वें दिन में पहुंच गया है। इस ऐतिहासिक आंदोलन को मजबूती देने के लिए हिसार से सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता बजरंग इंदल अपनी टीम के साथ पहुंचे। टीम में सुमेधा बौद्ध, सिद्धार्थ बौद्ध, आयुष्मान संघप्रिय बौद्ध, सुजाता बौद्ध, आर्यन बोद्ध, डाक्टर राजकुमार बौद्ध, सुशील बोद्ध, लोंगश्री बौद्ध, पूनम बौद्ध व अंजलि शामिल रहे।
सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता बजरंग इंदल ने महाबोधि मंदिर रोड के बुद्धिस्टों के धरना स्थल पर पहुंचकर आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा बुद्ध की विरासत और उनकी शिक्षाओं पर हजारों वर्षों से हो रहे हमले अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। महाबोधि बुद्ध मंदिर का पूरा प्रशासनिक नियंत्रण बौद्ध अनुयायियों के हाथों में होना चाहिए। यह हमारा अधिकार और हमारी पहचान है। आंदोलनकारी लगातार विवादित बीटीएमसी अधिनियम 1949 (बोधगया एक्ट) को रद्द करने की मांग उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि गैर-बौद्ध लॉबी ने मंदिर पर जबरन कब्जा जमाकर बौद्ध समाज के मूल अधिकारों का हनन किया है। एडवोकेट बजरंग इंदल ने कहा कि ये गैर-बौद्ध ताकतें मंदिर की शांति, पवित्रता और बौद्ध शिक्षाओं के लिए खतरा बन चुकी हैं। आरएसएस प्रेरित सांप्रदायिक शक्तियां जो अन्य धर्मों के पवित्र स्थलों पर कब्जा करने में माहिर हैं अब महाबोधि महाविहार में बुद्ध की विरासत को नष्ट करने की साजिश रच रही हैं। ये लोग धर्म को राजनीति का हथियार बनाकर महाबोधि मंदिर की मूल संरचना और भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध और डॉ. अंबेडकर की मानवतावादी विचारधारा से डरने वाली ये संकीर्ण ताकतें उनकी मूर्तियों, मंदिरों और शिक्षाओं को मिटाने की कोशिश कर रही हैं ताकि अपनी विभाजनकारी और सांप्रदायिक तथा नफ़रती विचारधारा को बढ़ावा दे सकें लेकिन अब समय आ गया है कि अंबेडकर और बुद्ध के अनुयायियों एकजुट होकर अपनी विरासत को बचाए। एडवोकेट इंदल ने धरने पर दोहराया कि महाबोधि बुद्ध मंदिर को पूरी तरह बौद्ध समुदाय को सौंपने और मैनेजमेंट कमेटी से गैर-बौद्ध लोगों को हटाने के लिए बिहार सरकार और केंद्र सरकार को जल्द ही ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अब केवल बोधगया तक सीमित नहीं है बल्कि देश और दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों की सशक्त आवाज बन चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम इस लड़ाई को हर कीमत पर जीतेंगे। यह जीत बौद्ध धर्म की भारत में पुनर्स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगी और बुद्ध की शिक्षाओं को फिर से गौरव दिलाएगी।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
