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नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान के संबंध में सरकार की महत्वपूर्ण पहल

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नई दिल्ली, 24 मार्च (Udaipur Kiran) । नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान-पारेषण में वर्ष 2023 से 2032 की अवधि के दौरान देश में आवश्यक पारेषण प्रणाली की रूपरेखा पेश की गई है, जो देश में उत्पादन क्षमता वृद्धि और बिजली की मांग में वृद्धि के अनुरूप है। पारेषण योजना में 2032 तक 388 गीगा वाट (जीडब्ल्यू) की अनुमानित पीक बिजली मांग को पूरा करने के लिए केंद्रीय और राज्य पारेषण प्रणालियों (220 केवी स्तर और उससे ऊपर) को जोड़ना शामिल है।

यह जानकारी राज्यसभा में ऊर्जा मंत्रालय के राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने सोमवार को एक सवाल के जवाब में दी। इसमें बताया गया कि उच्च वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) लाइनें लंबी दूरी पर बिजली के थोक हस्तांतरण को सुगम बनाती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) समृद्ध क्षेत्रों से प्रमुख भार केंद्रों तक थोक बिजली के हस्तांतरण के लिए मुख्य रूप से नई एचवीडीसी लाइनों की योजना बनाई गई है।

बिजली उत्पादन के संसाधन पूरे देश में असमान रूप से वितरित हैं। कुछ राज्यों में विशाल परिवर्तनशील नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है, जबकि कुछ राज्य जल विद्युत क्षमता में समृद्ध हैं। 2032 तक अंतर-क्षेत्रीय हस्तांतरण क्षमता में 119 गीगावाट से 168 गीगावाट की वृद्धि बिजली अधिशेष क्षेत्रों अथवा राज्यों से बिजली की कमी वाले क्षेत्रों अथवा राज्यों में बिजली के निर्बाध हस्तांतरण को सुगम बनाएगी, जिससे राज्यों को अपनी बिजली की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।

नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान-पारेषण अन्य बातों के अलावा प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाले क्षेत्रों अथवा स्थानों से बिजली निकालने के लिए पारेषण प्रणाली की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। इसके अतिरिक्त देश में ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया निर्माण संभावित केंद्रों तक बिजली पहुंचाने के लिए भी पारेषण प्रणाली की योजना बनाई गई है। नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण और ग्रीन हाइड्रोजन निर्माण केंद्रों तक बिजली पहुंचाने से संबंधित पारेषण परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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