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नदियों और पर्यावरण संरक्षण को लेकर याचिका पर हुई सुनवाई

नैनीताल हाईकोर्ट।

नैनीताल, 24 मार्च (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने देहरादून में जल धाराओं, जल स्त्रोतों, पर्यावरण संरक्षण सहित नदियों पर मंडरा रहे खतरे व पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर तीन जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। कोर्ट ने इनको संर​क्षित कराने के लिए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तिथि नियत की है।

पूर्व के आदेश पर राज्य सरकार के प्रमुख वन सचिव, सचिव शहरी विकास और राजस्व विभाग के सचिव कोर्ट में वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। सचिव वन ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी तक पूर्व के आदेशों का किन्ही कारणों से अनुपालन नहीं हो सका, इसलिए कोर्ट के पूर्व के आदेशों का अनुपालन कराने के लिए संबं​धित विभागों को चार सप्ताह का समय दिया जाए। क्योंकि अभी वित्तीय साल का अंतिम सप्ताह चल रहा है जिस पर कोर्ट ने उन्हें तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने के साथ स्वयं भी वीसी के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि नदी, नालों व गधेरों में जहां-जहां अतिक्रमण हुआ है उसे हटाया जाए और उस जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इनको भी उसी तरह से सीसीटीवी लगाकर मैनेज किया जाए जैसे सड़कों के दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों को किया जाता है। कोर्ट ने डीजीपी से कहा है कि वे सम्बंधित एसएचओ को आदेश जारी करें कि जहां-जहां ऐसी घटनाएं होती हैं उन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने सचिव शहरी विकास से भी कहा कि वे प्रदेश के नागरिकों में एक संदेश प्रकाशित करें कि नदी, नालों व गधेरों में अतिक्रमण, मलबा व अवैध खनन न करें जिसकी वजह से मानसून सीजन में उन्हें किसी तरह की दुर्घटना न हो। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करें।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने हाई कोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर कहा था कि देहरादून में सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं जिससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है। दूसरी याचिका में कहा गया कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया। याचिका में यह भी कहा गया कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमी पर अतिक्रमण किया है। खासकर बिंदाल व रिष्पना नदी पर।

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(Udaipur Kiran) / लता

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