
कोलकाता, 24 मार्च (Udaipur Kiran) । काजी नजरुल विश्वविद्यालय, आसनसोल और उमा फाउंडेशन, नैहाटी के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्यावहारिक अनुवाद एवं सृजन कार्यशाला का भव्य शुभारंभ हुआ। इस कार्यशाला में देश-विदेश के विद्वान, अनुवादक, लेखक और शोधार्थी हिंदी भाषा, अनुवाद तथा सृजनात्मक लेखन की बारीकियों पर चर्चा कर रहे हैं। पहले दिन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार, रोजगार के अवसर और साहित्यिक योगदान पर गहन विमर्श हुआ।
कार्यशाला का उद्घाटन काजी नजरुल विश्वविद्यालय के कला संकाय संकायाध्यक्ष प्रो. सजल कुमार भट्टाचार्य ने किया। उन्होंने हिंदी भाषा की वैश्विक उपस्थिति और उसके विकास की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए अंग्रेजी, बंगाली और हिंदी के सामासिकता व अनुवाद के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
हिंदी विभाग के प्रोफेसर विजय कुमार भारती ने डिजिटल तकनीकों के माध्यम से हिंदी भाषा शिक्षण की नई संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ई-लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए हिंदी को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
सहायक प्राध्यापक डॉ. काजू कुमारी साव ने अनुवाद अध्ययन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की उपयोगिता पर जोर देते हुए इसे रोजगार से जोड़ने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि अनुवाद केवल भाषा परिवर्तन नहीं, बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का माध्यम भी है।
पांडवेश्वर कॉलेज के सहायक प्राध्यापक और उमा फाउंडेशन के सचिव डॉ. विकास साव ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए इसे हिंदी भाषा के विकास में मील का पत्थर बताया।
पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषा की भूमिका पर चर्चा
द्वितीय तकनीकी सत्र में विद्यासागर कॉलेज फॉर वूमेन, कोलकाता के हिंदी विभागाध्यक्ष और सहायक प्राध्यापक डॉ. अभिजीत सिंह ने हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में पश्चिम बंगाल का योगदान विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने हिंदी भाषा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और पश्चिम बंगाल में इसके प्रचार-प्रसार पर विस्तार से चर्चा की।
भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार के वरिष्ठ हिंदी अनुवादक धर्मेंद्र कुमार साव ने हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने सरकारी और निजी क्षेत्रों में अनुवादकों और सृजनात्मक लेखकों के लिए उपलब्ध रोजगार के अवसरों पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में विदेश से भी कई अध्यापक ऑनलाइन माध्यम से जुड़ेंगे।
कार्यशाला के अंतिम दिन 29 मार्च को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और समापन समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसमें हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में पश्चिम बंगाल का योगदान विषय पर विस्तार से चर्चा होगी।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद पार्थ भौमिक, नैहाटी नगर पालिका के चेयरमैन अशोक चटर्जी, नैहाटी विधानसभा के विधायक सनत दे और भाटपाड़ा के सीईसी अमित गुप्ता मौजूद रहेंगे।
अकादमिक सत्र में जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रो. ओमप्रकाश मिश्र, कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रो. राजश्री शुक्ल सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के प्राध्यापक, अनुवादक, शोधार्थी और विद्यार्थी भाग लेंगे।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
