Uttar Pradesh

स्वयंसेवकों ने कुम्हारों से सीखा मटका बनाने का हुनर

कुम्हारों से माटीकला के गुर सीखते स्वयंसेवक

राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने कोछाभंवर स्थित कुम्हारों की बस्ती का किया दौरा

झांसी, 22 मार्च (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय सेवा योजना के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की ईकाई षष्ठ एवं सप्तम द्वारा चलाए जा रहे सात दिवसीय विशेष शिविर के अंतर्गत स्वयंसेवकों ने आज कोछाभंवर स्थित कुम्हारों की बस्ती का दौरा किया। स्वयंसेवकों ने कुम्हारों के परिवार से मुलाकात कर उनके जीवन के बारे में समझा। उन्होंने मिट्टी के महत्व और कुम्हार के जीवनयापन के लिए मिट्टी कितनी आवश्यक है यह जानने का प्रयास किया।

स्वयंसेवकों द्वारा दुनियाभर में मशहूर कोछाभंवर के मटकों के बनने की प्रक्रिया को भी सीखने का प्रयास किया गया। काली मिट्टी से बनने वाले यह मटके बेहद खास ढंग से हाथ का इस्तेमाल कर बनाया जाते है। स्वयंसेवकों ने इस कला को पूरे मन से सीखा। एक स्वयंसेवक ने कहा कि शहर की भाग दौड़ में हम गांव के जीवन और मटकों का महत्व भूल गए हैं। आज कोछाभंवर आकर हमने जाना कि यहां के मटके भी झांसी की पहचान बन गए हैं। कुम्हारों के जीवन के बारे में भी काफी कुछ समझने को मिला।

षष्ठ ईकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. श्रीहरि त्रिपाठी ने कहा कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कार्यक्रम समन्वयक विनय कुमार सिंह के मार्गदर्शन में सात दिवसीय शिविर चलाया जा रहा है। आज स्वयंसेवकों ने कुम्हारों के साथ समय व्यतीत कर उनके जीवन के बारे में समझा। मटका बनाने की कला से भी स्वयंसेवकों ने जुड़ने का प्रयास किया। मटका बनाना और उसका पानी पीना हमारी भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है। भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे।

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(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया

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