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असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के सम्मेलन में श्रमिकों को संगठित कर न्याय दिलाने पर जोर

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नई दिल्ली, 22 मार्च (Udaipur Kiran) । कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में शनिवार को असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस (केकेसी) के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें 24 राज्यों के 530 प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों ने भाग लिया। इसकी अध्यक्षता केकेसी चेयरमैन डॉ उदितराज ने की। सम्मेलन को कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन, पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक और पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद दिग्विजय सिंह ने सम्बोधित किया।

पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक ने इसमें सहभागिता कर रहे लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश को देखें तो एक तरफ उपेक्षित वर्ग है और दूसरी तरफ प्रस्थापित वर्ग है। उपेक्षित वर्ग की सहूलियत के लिए देश में जो कानून बने हैं, उन्हें असरदार तरीके से लागू किया जाए, इस पर सरकार को काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में दलितों और आदिवासियों, असंगठित कामगारों के लिए कई कानून बने लेकिन उनका पूरी तरह से लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इसलिए हमें श्रमिकों के बीच इन कानूनों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना होगा, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा इसका लाभ उठा सकें। उन्होंने आने वाले समय में असंगठित और उपेक्षित वर्ग को संगठित करने और उन्हें न्याय दिलाने पर जोर दिया।

पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में हर जाति के कुछ नेता होते हैं, जो अपनी जाति के लोगों को आगे लेकर जाने का काम करते हैं। कई जगहों पर जाति के नाम पर भेदभाव भी होता है। जब शहर में जाएंगे तो वहां 75 प्रतिशत लोग गैर-कृषि का काम करते हैं। वो क्लास में बंट जाते हैं। रेहड़ी-पटरी वाले, झुग्गियों में रहने वाले, हाउस हेल्प, रिक्शा चलाने वाले, गिग वर्कर्स एक अलग क्लास है। ये सभी असंगठित हैं। ये आपको कहीं भी संगठन में नजर नहीं आएंगे। इस वजह से उनकी आवाज नहीं उठ पाती है। इसीलिए केकेसी ऐसे लोगों की आवाज बनेगी।

माकन ने कहा कि रेहड़ी-पटरी आजीविका संरक्षण कानून (वेंडर एक्ट) 2013 में कांग्रेस सरकार लेकर आई थी। इस कानून का नया ड्राफ्ट बतौर मंत्री मैंने लिखा था। ये ऐक्ट कहता है कि देश के हर शहर में वहां की कुल आबादी के 2.5 प्रतिशत के अनुपात में रेहड़ी-पटरी लगाने के लिए वेंडर्स को लाइसेंस सर्टिफिकेट दिए जाने चाहिए। इस हिसाब से पूरे देश में कुल 02 करोड़ लोगों को वेंडर्स लाइसेंस सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए लेकिन दुख की बात है कि मौजूदा सरकार ने अपने 10-11 साल में 2 लाख भी रिकॉग्नाइज्ड वेंडर्स सर्टिफिकेट नहीं बांटे हैं। उन्होंने कहा कि इस एक्ट की धारा-3 (3) कहती है कि जब तक वेंडिंग जोन चिह्नित ना हो जाए, एक भी वेंडर को हटाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने कहा कि ब्लिंकिट, जोमैटो, अमेजन जैसी कंपनियों में काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार कानून लेकर आई थी। उसी तर्ज पर अन्य राज्य सरकारों को भी कानून लाना चाहिए। माकन ने कहा कि गिग वर्कर्स के लिए देश में कोई कानून नहीं है। ऐसे लोगों की कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। आप सबको ऐसे ही लोगों की आवाज बनना पड़ेगा।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं सांसद दिग्विजय सिंह ने इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी और कहा कि जो भी देश जिनेवा लेबर कन्वेंशन का सिग्नेटरी है। उसे हर साल में एक त्रिपक्षीय बैठक रखना अनिवार्य है। ये तीन पक्ष हैं- मजदूर, मालिक और सरकार। इस देश में 50 करोड़ से ज्यादा मजदूर हैं लेकिन उनमें से महज एक करोड़ मजदूर सेंट्रल लेबर यूनियन के सदस्य हैं, जो चिंताजनक है।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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