
पूर्वी चंपारण,21 मार्च (Udaipur Kiran) ।भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के सहयोग से महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित दस दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी शिरकत कर रहे है।
कार्यशाला के दूसरे दिन कंडक्टिंग ए कॉम्प्रिहेंसिव लिटरेचर रिव्यू, प्रैक्टिकल एक्सरसाइज ऑन लिटरेचर रिव्यू और प्रेजेंटिंग रिसर्च फाइंडिंग इफेक्टिवली विषयों
पर मुख्य वक्ता प्रो. नागेंद्र कुमार झा, कुलसचिव, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना और विशिष्ट वक्ता बुद्ध परिसर के निदेशक प्रो. सुनील महावर ने अपने विचार साझा किये।
सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के कुलसचिव प्रो.नरेंद्र कुमार झा ने साहित्य समीक्षा के सात महत्वपूर्ण पहलू एवं शोध की सीमा के बारे में बताया। साथ ही ग्रंथ सूची और संदर्भ के अंतर के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने साहित्य समीक्षा के महत्व, क्षेत्र, उपकरण, प्रविधि इत्यादि पहलुओं पर के बारे में भी बताया। प्रो. नरेंद्र कुमार झा ने भारतीय सामाजिक विज्ञान तथा साहित्य समीक्षा और अनुसंधान समस्या निर्माण, विकास और विभिन्न पक्षों पर कार्यशाला के सहभागियो से सार्थक संवाद किया। वहीं विशिष्ट वक्ता प्रो. सुनील महावार ने ‘प्रेजेंटिंग रिसर्च फाइंडिंग इफेक्टिवली’ विषय पर शोधार्थियों से संवाद करते हुए कहा कि शोध निष्कर्ष को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने के लिए हमें हमेशा प्रस्तुतीकरण की पूर्व तैयारी करनी चाहिए और लक्षित दर्शकों की आवश्यकता को समझते हुए अपने शोध के उद्देश्य और परिणाम को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें।
प्रस्तुति के लिए ढांचा एक स्पष्ट और तर्कसंगत ढांचा तैयार करें जिसमें परिचय, विधि, परिणाम और निष्कर्ष शामिल हों तथा चित्र, ग्राफ़ एवं टेबल का उपयोग करके अपने परिणामों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करें। इसके अलावा प्रस्तुति के दौरान अपने शोध को स्पष्ट और सरल भाषा में प्रस्तुत करें, अपने शोध पर आत्मविश्वास रखें और अपने परिणामों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करें साथ हीं अपने प्रेजेंटेशन को समय पर पूरा करें और अपने दर्शकों को पर्याप्त समय दें। जब आपकी प्रस्तुति समाप्त हो जाए तो उसके बाद अपने दर्शकों के प्रश्नों का उत्तर दें और उनकी चिंताओं को दूर करें, अपने दर्शकों से प्रतिक्रिया का स्वागत करें और अपने शोध में सुधार के लिए उनकी सलाह का उपयोग करें।
इन मौलिक पहलुओं को आत्मसात कर कोई भी शोधार्थी अपने शोध निष्कर्ष को प्रभावी रूप से प्रस्तुत कर सकता है। कार्यशाला में आए सम्मानित वक्ताओं का स्वागत मीडिया अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा एवं धन्यवाद ज्ञापन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनील दीपक घोडके ने किया और कार्यशाला के आगामी सत्रों को लेकर शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यशाला में विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ. साकेत रमण, डॉ. उमा यादव, डॉ. मयंक भारद्वाज और डॉ. आयुष आनंद के साथ-साथ मीडिया विभाग के शोधार्थी उपस्थित थें।
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(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार
