शिमला, 19 मार्च (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मादक पदार्थ चिट्टा की तस्करी का मुद्दा बुधवार को विधानसभा में उठा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रश्नकाल के दौरान बताया कि प्रदेश सरकार के 60 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी चिट्टा तस्करी में संलिप्त पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगले छह महीने में इन सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद चिट्टा तस्करी के मामलों में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। सरकार ड्रग माफिया के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है और अब तक एक माफिया के घर को ध्वस्त कर दिया गया है, जबकि 17 लोगों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नशा करने वालों की पहचान के लिए पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही यह प्रक्रिया स्कूलों और कॉलेजों में भी की जाएगी ताकि इसके आधार पर आगे की कार्रवाई हो सके।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में नशे से पीड़ित लोगों के पुनर्वास के लिए सोलन जिले के कोटला खुर्द में नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जा रहा है। सरकार चिट्टा तस्करी रोकने के लिए विशेष टास्क फोर्स बनाने जा रही है और आगामी बजट सत्र में एंटी ड्रग एक्ट भी लाया जाएगा।
विधानसभा में विधायक विनोद कुमार ने चिंता जाहिर करते हुए बताया कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में चिट्टे की तस्करी के 4780 मामले दर्ज किए गए और 38 युवाओं की मौत हुई है। उन्होंने मांग की कि सरकार इस शैक्षणिक सत्र से ही पाठ्यक्रम में नशे के दुष्परिणामों से जुड़ा विषय शामिल करे।
इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी तीखे सवाल पूछे। उन्होंने सरकार से चिट्टे की तस्करी में 30 प्रतिशत गिरावट को मापने का पैमाना स्पष्ट करने को कहा। इस पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार सत्ता में आते ही ड्रग माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश की जेलें अब चिट्टा तस्करों से भर गई हैं और अब माता-पिता खुद आगे आकर अपने बच्चों को नशे से बचाने के लिए एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
