
फिरोजाबाद, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । दिहुली में 44 साल पूर्व हुए सामूहिक नरसंहार मामले में मंगलवार को तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाने के बाद पीड़ित परिवारों ने कहा कि देर से सही लेकिन न्याय मिला है। घटना के चश्मदीदों ने यह घटना क्यों और कैसे हुई इसको भी साझा किया है। दिहुली निवासी जय देवी जो कि काफी वृद्ध है ने इस घटना को बताया कि इस जघन्य हत्याकांड में उनके परिवार के चार सदस्यों की मौत हुई थी। हमलावरों ने पहले उनके पति ज्वाला प्रसाद की हत्या की और फिर उनके तीन बेटों की हत्या कर दी।
इस घटना के चश्मदीद गवाह अमृतलाल ने बताया कि हमलावर पांच पांच कर अलग-अलग रास्तों से आए थे। जिन्होंने दलितों को टारगेट करते हुए सीधे-सीधे उन पर फायरिंग कर दी। किसी को नहीं छोड़ा जो मिला उसकी हत्या की। उन्होंने कमरे में खुद को बंद कर अपनी जान बचाई। एक और चश्मदीद हम्मीर सिंह का कहना है की दिहुली गांव उस समय मैनपुरी जिले का हिस्सा था। इस इलाके में उस समय बदमाशों का एक बड़ा गैंग हुआ करता था जिसे राधे और संतोष गैंग के नाम से जाना जाता था। इस गैंग के कुछ बदमाशों को मैनपुरी पुलिस ने एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया था। इसी गांव के दलित समाज के कुछ लोगों ने मुठभेड़ के मामले में गवाही दी थी। इसी बात को लेकर यह गैंग यहां के दलित समाज से रंजिश मानने लगा था। इसी के चलते इस गैंग ने 18 मार्च 1981 काे दलित बस्ती में इस गैंग को जो भी मिला उसी की इस गैंग ने हत्या कर दी। उन्होंने बताया कि इस घटना में राधे-संतोष गैंग के कुछ बदमाशों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उनसे हथियार भी बरामद हुए थे।
तीन दोषियों को मिली फांसी की सजा दिहुली नरसंहार मामले में तीन दोषियों रामसेवक, कप्तान सिंह व रामपाल को विशेष न्यायाधीश इंदिरा सिंह डकैती कोर्ट मैनपुरी ने मंगलवार को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई है। दोषी रामसेवक व कप्तान सिंह पर 02-02 लाख रुपये एवं दोषी रामपाल पर 01 लाख रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। कोर्ट ने इस जघन्य हत्याकांड के निर्णय में लिखा है कि दोषियों को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक कि उनकी मृत्यु न हो जाए।
पीड़ित बोले न्याय मिलाअदालत का फैसला आने के बाद पीड़ित परिवारों ने कहा कि 44 साल बाद सही लेकिन उन्हें न्याय मिला है।
(Udaipur Kiran) / कौशल राठौड़
