Uttar Pradesh

यूरोप, बांग्लादेश और पाकिस्तान की जनसंख्या के बराबर तो श्रद्धालु इस बार महाकुंभ में आए : विक्रम सिंह

पूर्व डीजीपी ने पॉडकास्ट में साझा किया अनुभव

लखनऊ, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी डा. विक्रम सिंह ने बताया कि अपने सेवाकाल के दौरान वह भी कई बार कुंभ का हिस्सा रहे हैं। महाकुंभ-2025 के सफल आयोजन एवं यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की संख्या के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पूरे यूरोप, बांग्लादेश और पाकिस्तान की जनसंख्या के बराबर तो श्रद्धालु इस बार महाकुंभ में दर्शन को आए थे। यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं हैं, जो उत्तर प्रदेश पुलिस ने कर दिखाया है। उन्होंने मंगलवार को पॉडकास्ट के आठवें एपिसोड में आईपीएस वृंदा शुक्ला से महाकुम्भ भ्रमण, अपने सेवाकाल एवं निजी जीवन के अनुभवों को साझा किया। इस दौरान उन्होंने सफल आयोजन के लिए स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने डीजीपी प्रशांत कुमार और अन्य उच्चाधिकारियों की सराहना की है। यूपी पुलिस ने हाल ही में बियॉन्ड द बैज नाम से एक पॉडकास्ट शुरू किया है।

श्री सिंह ने बताया कि आगरा में एसपी देहात के पद पर तैनाती के दौरान डकैती प्रभावित क्षेत्र जैसे चंबल के बीहड़ और बुंदेलखंड में एंटी डकैती ऑपरेशन चलाया जा रहा था। इसमें वह शामिल थे। 15 दिन तक लगातार बीहड़ में कांबिंग के उपरान्त जब वह वापस घर आए थे तो उनकी पत्नी भी उनको पहचान नहीं पाई थी। क्योंकि कांबिंग के दौरान उनके बाल और दाढ़ी बढ़ी हुई थी, कपड़े गंदे, मैले और कीचड़ से सने हुए थे।

250 मजनुओं को पकड़ा, मिली बधाईयां

पूर्व डीजीपी ने बताया कि नोएडा में तैनाती के दौरान पता चला कि स्कूल, कोचिंग के बाहर खड़े मनचले युवक छात्राओं से छेड़खानी करते हैं। इस मामले को संज्ञान में लेकर स्कूल के आस पास घूमने वाले आवारा किस्म के लड़कों को चिन्हित करने उनके विरुद्ध ऑपरेशन मजनू अभियान चलाया। इस अभियान के पहले दिन ही 250 मजनुओं को पकड़ा गया। इस अभियान के लिए 06 अलग अलग एजेंसियों से उन्हें बधाई मिली थी।

अपने सेवा काल के कई संस्मरणों काे याद किया

डा. सिंह ने पॉडकास्ट में अलकायदा के आतंकी सैयद मोहम्मद उमर शेख से हुए एनकाउंटर, 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सेना से पलायन किए हुए 80 सिख सैनिकों के आत्मसमर्पण कराए जाने की घटना, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हाल ही में भर्ती किए गए 60 हजार सिपाहियों की भर्ती की निष्पक्ष, पारदर्शी व त्रुटि रहित प्रक्रिया सहित अपने सेवा काल के कई संस्मरणों के बारे में विस्तार से बताया।

पुलिस की सेवा कोई काम नहीं, एक तपस्या है

पूर्व डीजीपी ने फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों को संदेश देते हुए कहा कि, पुलिस की सेवा न तो कोई काम है और न जॉब है, यह एक तपस्या है। और एक तपस्वी के रूप में आप सभी सम्मान के हकदार है। अपने लिए काम करे, अपनी कार्यकुशलता को बढ़ाएं, ताकि आप विभाग के लिए अपरिहार्य बन जाए ।

अपने बचपन के दिनों को याद किया

आखिरी में उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया गया कि इनकी पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से हुई थी। लेकिन घर में केवल हिंदी भाषा का ही प्रयोग होता था और घर में सख्त अनुशासन था। प्रयागराज में निवास के दौरान उनको प्रसिद्ध लेखक एवं कवि जैसे प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय, उपेंद्रनाथ अश्क, हरिवंश राय बच्चन, सुमित्रानंदन पंत, महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फिराक गोरखपुरी आदि का सानिध्य प्राप्त हुआ था।

(Udaipur Kiran) / दीपक

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