
कोलकाता, 13 मार्च (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय के एक उत्सव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद ममताबाला ठाकुर के समर्थकों को उत्तर 24 परगना जिला परिषद ने आयोजन की अनुमति दी थी, लेकिन यह परमिशन 60 साल पहले रद्द किए गए कानून के तहत दी गई थी। इसे लेकर मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जहां न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने जिला परिषद के आदेश को रद्द कर दिया और नए सिरे से आवेदन करने का निर्देश दिया।
जानकारी के मुताबिक, 1963 के जिला परिषद कानून को 1973 में पश्चिम बंगाल पंचायत अधिनियम आने के बाद समाप्त कर दिया गया था। इसके बावजूद, इसी पुराने कानून का हवाला देकर जिला परिषद ने ममताबाला ठाकुर के समर्थकों को मतुआ उत्सव आयोजित करने की अनुमति दी थी। इस पर केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
हाई कोर्ट में पेश दस्तावेजों की समीक्षा के बाद न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने स्पष्ट किया कि 1963 का कानून अब अस्तित्व में नहीं है और जिला परिषद का आदेश अवैध है। कोर्ट ने पुराने आदेश को रद्द करते हुए दोनों पक्षों को नए सिरे से आवेदन करने का निर्देश दिया और कहा कि 19 मार्च तक जिला परिषद इस पर नए सिरे से विचार करे।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
