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जेल में बंद यूएपीए के आरोपितों को कॉल और ई-मुलाकात की सुविधा न देने पर एनआईए और दिल्ली सरकार को नोटिस

Delhi High Court File Photo

नई दिल्ली, 12 मार्च (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने यूएपीए मामलों के आरोपितों को जेल में वीडियो कॉल सुविधा का उपयोग नहीं करने देने के दिल्ली जेल नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर एनआईए और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने जेल में बंद आईएसआईएस संदिग्ध बासित कलाम सिद्दीकी की याचिका पर नोटिस जारी किया।

सुनवाई के दौरान बासित की ओर से पेश वकील कार्तिक वेणु ने कहा कि 02 सितंबर 2022 के सर्कुलर के मुताबिक कुछ खास कैदियों को रोजाना फोन करने और वीडियो कॉल के जरिये बात करने पर रोक लगाया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रिजन रुल्स का रुल 631 रुल 631 के तहत यूएपीए के कैदियों को सप्ताह में केवल एक कॉल करने का प्रावधान है जबकि दूसरे कैदियों को सप्ताह में पांच कॉल करने की सुविधा दी गई है। कार्तिक वेणु ने कहा कि यूएपीए के कैदियों को सप्ताह में केवल एक फोन कॉल की इजाजत देना संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है।

कार्तिक वेणु ने कहा कि 26 दिसंबर 2022 के एक सर्कुलर के मुताबिक ई-मुलाकात की सुविधा भी सप्ताह में दो बार से घटाकर एक कर दी गई है। इसके अलावा 22 अप्रैल 2024 के सर्कुलर में कहा गया है कि फोन और वीडियो कॉल करने की सुविधा लेने के लिए जांच एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की बंदिशों से कैदियों के अपने परिवार के सदस्यों और अपने वकीलों से मुलाकात नहीं हो सकती है। इससे कैदियों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है। हाई कोर्ट ने इन दलीलों को सुनने के बाद इस याचिका को ऐसी ही एक दूसरी याचिका के साथ टैग करते हुए इस पर विस्तृत सुनवाई करने का आदेश दिया। दूसरी याचिका हुर्रियत नेता नईम अहमद खान ने दायर कर रखी है।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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