

अजमेर, 11 मार्च (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में अजमेर विकास प्राधिकरण और नगर निगम की टीम ने आनासागर झील वेटलैंड पर हुए निर्माण को तोड़ने का काम शुरू कर दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सभापति अजमेर सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रेस वार्ता में बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में एडीए और नगर निगम की टीम ने सोमवार रात्रि से आनासागर झील वेटलैंड पर हुए 7 वंडर निर्माण को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। शेखावत ने ही इस मामले में सबसे पहले एनजीटी में वाद दायर किया था। एनजीटी में उनकी ओर से दायर याचिका पर 21 दिसंबर 2022 को निर्णय आया था। तब तक सेवन वंडर का निर्माण शुरू नहीं हुआ था और पाथ वे का निर्माण चल रहा था। एनजीटी ने निर्णय में कहा था कि वेटलैंड पर निर्माण नहीं किया जाए। इस संबंध में स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तत्कालीन सीईओ और एसीईओ को नोटिस भी जारी किए गए थे, लेकिन अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से वेट लैंड पर निर्माण कार्य जारी रखा। इसका नतीजा अब 120 करोड़ रुपये के नुकसान के रूप में सामने आया है। शेखावत ने कहा कि यह पैसा आम जनता की कमाई का पैसा है, जिन अधिकारियों की वजह से यह बर्बाद हुआ है अब उनसे इसकी भरपाई की जानी चाहिए। यही नहीं अधिकारियों ने अदालत को भी यह कहकार बहलाने का प्रयास किया कि सेवन वंडर से शहर की खूबसूरती बढ़ेगी। लेकिन अदालत ने इस सब तर्कों को दरकिनार कर वेटलैंड में हुए निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया। इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव सुधांश पंत को 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है, इसी के तहत सीएस के आदेशों के बाद अब सोमवार से वेटलैंड पर हुए 7 वंडर निर्माण को गुपचुप तरीके से हटाने की कवायद की गई है। इसी तरह लवकुश उद्यान के पीछे बने फूडकोर्ट को भी ध्वस्त किया जा रहा है। सेवन वंडर में अधिकारियों ने एक प्रतिमा को शिफ्ट करने को प्रयास किया है। हो सकता है यह कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट में दिखाने के लिए दिखावटी की जा रही हो। शेखावत ने आरोप लगाया कि सेवन वंडर को ध्वस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के राशि का दुरुपयोग कर आनासागर झील का दायरा छोटा किया गया है। इसी का नतीजा है कि बरसात के दौरान पूरी तरह आसपास का क्षेत्र पानी में डूब जाता है। उन्होंने कहा कि जिन अधिकारियों ने वेटलैंड में नियमविरुद्ध निर्माण कार्य कराए है उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
मनमर्जी से निर्माण कार्य किए गए इन अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।
शेखावत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पूर्व में इस मामले में पर्यावण मंत्री भूपेन्द्र यादव को सूचित किया गया था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट केंद्र के अधीन था। उन्होंने भी इस मामले में जिला प्रशासन को आगाह किया था। अजमेर के दोनों भाजपा विधायकों के बारे में शेखावत ने कहा कि उन्हें तो तत्कालीन सरकार और अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड की किसी भी बैठक में बुलाया ही नहीं। जनप्रतिनिधियों को दर किनार कर निर्माण कार्य कराए गए जिसका खामियाजा अब करोड़ों रुपये की बर्बादी के रूप में अजमेरवासियों को चुनाना होगा। उन्होंने संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए बर्बाद राशि की वसूली उनसे सुनिश्चित करने की मांग रखी।
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(Udaipur Kiran) / संतोष
