
जयपुर, 10 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने परकोटे के आवासीय इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियों के मामले में अवैध तौर पर चिन्ह्ति 19 भवनों पर गत 7 मार्च को दिए यथास्थिति आदेश को समाप्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि 25 फरवरी को इन भवनों को सील करने का आदेश समानान्तर खंडपीठ ने दिया था। ऐसे में वह उस आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। प्रभावित भवन मालिक चाहे तो उस खंडपीठ के समक्ष अपनी बात रखे या उसकी सुप्रीम कोर्ट में अपील करें, लेकिन मामले में दिया यथा-स्थिति का आदेश जारी नहीं रहेगा। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। इसके साथ ही अदालत ने इन प्रभावितों को मामले में पक्षकार के तौर पर शामिल कर लिया है।
सुनवाई के दौरान प्रभावित भवन मालिकों की ओर से कहा गया कि जिस रिपोर्ट के आधार पर गत 25 फरवरी का आदेश दिया गया था, वह रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत, त्रुटिपूर्ण और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ थी। ऐसे में 25 फरवरी के आदेश के रिव्यु या उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए समय दिया जाए और इस दौरान इस खंडपीठ की ओर से गत 7 मार्च को दिए गए यथास्थिति के आदेश को जारी रखा जाए। इस पर अदालत ने कहा कि 25 फरवरी को दिया गया आदेश खंडपीठ का था और यह भी उसके समान ही खंडपीठ है। इसलिए वह उस आदेश के खिलाफ आदेश नहीं दे सकती। गौरतलब है कि मामले में प्रसंज्ञान लेने के बाद नगर निगम ने परकोटे के भवनों को लेकर तीन तरह की सूची बनाई थी। जिसकी पहली सूची में उन 19 इमारतों को शामिल किया गया था, जो पूरी तरह अवैध हैं। हाईकोर्ट की दूसरी खंडपीठ ने गत 25 फरवरी को इन इमारतों को सील करने के आदेश दिए थे। वहीं इस खंडपीठ ने गत 7 फरवरी को मामले में अंतरिम रूप से यथा-स्थिति के आदेश दिए थे।
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(Udaipur Kiran)
