HimachalPradesh

जीएसटी लागू होने से हिमाचल को हुआ नुकसान : राज्यपाल

राज्यपाल सदन को संबोधित करते हुए

शिमला, 10 मार्च (Udaipur Kiran) । राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है जहां राजस्व के स्रोत सीमित हैं और राज्य को केंद्र सरकार के अनुदानों पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद से प्रदेश के राजस्व में भारी गिरावट आई है और इससे विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। राज्यपाल सोमवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सदन को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने अपने एक घंटे 27 मिनट के अभिभाषण में कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्य के आंतरिक करों में भारी कमी आई है और केंद्र से मिलने वाला मुआवजा भी जुलाई 2022 में समाप्त हो गया जिससे राज्य को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 11,431 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान प्रस्तावित किया गया था, लेकिन यह अनुदान हर वर्ष घटता जा रहा है। वर्ष 2025-26 तक यह अनुदान घटकर केवल 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगा। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने विकास कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने दिया और पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि की है। मौजूदा वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय 6,270 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो 2020-21 के 5,309 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है।

आर्थिक संकट के बावजूद विकास कार्य जारी

राज्यपाल ने कहा कि कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद राज्य सरकार ने विकास कार्यों को रुकने नहीं दिया है। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2024 तक राज्य कर और आबकारी विभाग ने 8,338 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.79 प्रतिशत अधिक है।

प्रदेश में आधारभूत ढांचे के विकास को रफ्तार देने के लिए चंडीगढ़-बद्दी और भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेललाइन परियोजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि चंडीगढ़-बद्दी रेललाइन मार्च 2027 तक और भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेललाइन दिसंबर 2027 तक पूरी हो जाए।

बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार ने विभिन्न श्रेणियों के वाहन परमिट जारी किए हैं, जिससे 46,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। इसके अलावा मनरेगा के तहत 2 करोड़ 96 लाख कार्यदिवस सृजित कर 6.36 लाख परिवारों को रोजगार मुहैया कराया गया है जिसमें 64 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।

शिक्षा में देशभर में हिमाचल अव्वल

शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने कहा कि जनवरी 2025 में जारी असर-2024 रिपोर्ट में हिमाचल के बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता देशभर में सबसे बेहतर आंकी गई है। कोविड महामारी के दौरान देश के अन्य हिस्सों में जहां शिक्षा प्रभावित हुई, वहीं हिमाचल ने इस नुकसान की भरपाई करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष स्थान हासिल किया।

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों के तबादलों को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए सरकार ने सख्त नीति अपनाई है ताकि छात्रों की पढ़ाई पर असर न पड़े। इसके अलावा, सरकारी शिक्षण संस्थानों की वार्षिक रैंकिंग सार्वजनिक करने का निर्णय लिया गया है, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।

खेल और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा

राज्यपाल ने खेल और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार दिए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को 14 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को 83 लाख रुपये की पुरस्कार राशि वितरित की गई है। इसके अलावा खिलाड़ियों के लिए डाइट मनी भी बढ़ाई गई है।

महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के तहत 30,929 महिलाओं को हर माह 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब तक इस योजना पर सरकार ने 21.93 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

नशे के खिलाफ कड़ा अभियान

राज्यपाल ने राज्य में नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को मजबूत बताते हुए कहा कि अवैध नशे के कारोबार से अर्जित 11 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया गया है। इसके अलावा, प्रदेश में नारकोटिक्स और संगठित अपराध पर नियंत्रण के लिए एक विशेष कार्यबल का गठन किया गया है और फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं को उन्नत बनाया जा रहा है।

10 में से छह गारंटियों को किया पूरा

राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार ने जनता से 10 गारंटियों का वादा किया था जिनमें से 6 गारंटियों को पूरा कर दिया गया है। इनमें पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करना, पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रतिमाह सम्मान राशि देना, सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करना, दूध के खरीद मूल्य में वृद्धि करना, गोबर की खरीद शुरू करना और बेरोजगार युवाओं के लिए 680 करोड़ रुपये के राजीव गांधी स्टार्टअप फंड की स्थापना शामिल है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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