
कानपुर, 09 मार्च (Udaipur Kiran) सस्टेनेबिलिटी केवल पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन को बनाए रखने का प्रोसेस भी है। यह सुनिश्चित करता है कि हमारा डेवलपमेंट प्रोसेस इस प्रकार हो कि आने वाली जनरेशन के लिए भी संसाधन सुरक्षित रहें। आज, ग्लोबल वार्मिंग, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, और पॉल्यूशन जैसी समस्याएं वैश्विक चिंता का विषय बन गई हैं। इसलिए, हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम विकास के साथ-साथ इन चुनौतियों का समाधान भी खोजें। यह बाते एआईयू के अध्यक्ष और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीटीई) लखनऊ में आयोजित 16 वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एपीएम 2025 में कही।
प्रो. पाठक ने बताया कि लखनऊ में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षाविद् रिसर्चर, नीति निर्माता शामिल हुए। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि विकसित भारत में आगे बढ़ने के लिए हमें सस्टेनिबिलिटी के स्वयं के मॉडल डेवलप करने होंगे, हम विदेशी म़ॉडलों पर निर्भर नहीं रह सकतें।
उन्होनें कहा कि हमें सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि भारत का पेट्रोकेमिकल क्षेत्र देश के इकोनॉमिक डेवलेपमेंट के लिए एक प्रमुख स्तंभ है, जो ऊर्जा, निर्माण, स्वास्थ्य, कृषि और जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित करता है। बीते कुछ वर्षों में हमने इस क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
