
जबलपुर, 6 मार्च (Udaipur Kiran) । जबलपुर में तीन जनवरी को आयोजित प्रदेश के मुख्यमंत्री की स्वागत कार्यक्रम के दौरान अधिकृत की गई बसों में एक निजी पेट्रोल पंप से 6 लाख रुपए का डीजल बसों में भरवाया गया था, जिसका भुगतान नहीं होने के कारण आईएसबीटी बस स्टैंड के पास स्थित निजी पेट्रोल पंप मालिक सुगम चंद्र जैन के द्वारा संबंधित अधिकारियों के द्वारा भुगतान न किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भुगतान करवाए जाने संबंधी गुहार लगाई थी। अधिग्रहण की गई बसों में डीजल डलवा कर उसके भुगतान न किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई हुयी, इस दौरान कलेक्टर जबलपुर के द्वारा पेश किए गए हलफनामे से कोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आया है। उन्होंने टिप्पणी करते हुए पूरे मामले पर नाराजगी जताई, साथ ही सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री के सचिव को भी प्रतिवादी बनाए जाने की चेतावनी दी है। जिसके बाद शासन की ओर से इसकी अपील भी चीफ जस्टिस की बेंच में की गई।
पहले हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कलेक्टर से पूछा था कि बिना पोल जारी किए याचिकाकर्ता के द्वारा बसों में कैसे डीजल भरा गया और संयुक्त कलेक्टर, निगम आयुक्त और जिला आपूर्ति अधिकारी के द्वारा पोल की प्रतिपूर्ति करवाने के निर्देश दिए गए। कोर्ट के द्वारा इसे सार्वजनिक धन का दुरुपयोग बताते हुए अगली सुनवाई में कलेक्टर को व्यक्तिगत हलफनामे में यह बताने के लिए निर्देशित किया था कि किस कानून के तहत निगम आयुक्त का यह दायित्व है कि वह मुख्यमंत्री की रैली में लगी बसों में डीजल भरवाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि इन सभी पहलुओं पर कलेक्टर जबलपुर के द्वारा जवाब दिया जाएगा नहीं तो किसी सक्षम अधिकारी के पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि अब याचिकाकर्ता इस याचिका को वापस नहीं ले सकता है क्योंकि अब यह मामला हाई कोर्ट और जबलपुर कलेक्टर के बीच का है।
इस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई, जिसमें सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये मामला जनता के पैसों पर भ्रष्टाचार का नजर आ रहा है और इसमें उन्होंने ”प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट” के तहत कार्रवाई किए जाने की बात कही। हाइकोर्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री के सचिव को भी प्रतिवादी बनाए जाने की चेतावनी दी है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि शासन को अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया जाना चाहिए लिहाजा इस मामले की अगली सुनवाई में शासन को अपना पक्ष रखे जाने के लिए निर्देश जारी किए गए। अब अगली सुनवाई 18 मार्च 2025 को तय की गई है।
जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच से आए फैसले के तुरंत बाद इस फैसले के खिलाफ राज्य शासन के द्वारा चीफ जस्टिस की बेंच में अपील दायर कर दी गई। शासन की ओर से मौजूद अधिवक्ता के द्वारा चीफ जस्टिस को यह अवगत कराया गया कि रिट याचिका में कोर्ट की फाइंडिंग्स अब मुख्यमंत्री के सेक्रेटरी तक पहुंच रही है। इसलिए मामले की जल्द सुनवाई आवश्यक है। जिस पर चीफ जस्टिस के द्वारा इस अपील पर सुनवाई अगले दिन सात मार्च 2025 के लिए तय की है।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
