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इजराइल और अमेरिका की वायुसेना ने किया संयुक्त अभ्यास

तेल अवीव, 06 मार्च (Udaipur Kiran) । इजराइली वायुसेना (आईएएफ) और अमेरिकी वायुसेना ने एक संयुक्त अभ्यास किया है, जिसमें इजराइली एफ-35आई और एफ-15आई लड़ाकू विमानों ने अमेरिकी बी-52 रणनीतिक बॉम्बर के साथ उड़ान भरी। इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच परिचालन समन्वय को मजबूत करना और विभिन्न क्षेत्रीय खतरों का सामना करने की उनकी क्षमता को बढ़ाना था। यह जानकारी इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने गुरुवार को एक बयान जारी कर दी।

इजराइली रक्षा बलों के अनुसार, यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग को मजबूत करने और विभिन्न परिदृश्यों के लिए एकीकृत क्षमताओं का निर्माण करने के लिए आयोजित किया गया था। अभ्यास के दौरान, दोनों देशों के विमानों ने परिचालन समन्वय का अभ्यास किया, जिससे उनकी संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता में वृद्धि हुई।

इस संयुक्त अभ्यास को क्षेत्र में ईरान के बढ़ते परमाणु कार्यक्रम के प्रति एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इजराइल की वायुसेना, जो पहले भी 1981 में इराक और 2007 में सीरिया के परमाणु प्रतिष्ठानों को निष्क्रिय कर चुकी है, ईरान के परमाणु ठिकानों पर संभावित हमले के लिए अमेरिकी बी-52 बॉम्बर्स की भारी क्षमताओं पर निर्भर हो सकती है। ईरान के परमाणु ठिकानों की गहराई और सुरक्षा को देखते हुए, ऐसे हमलों के लिए उन्नत क्षमताओं की आवश्यकता होगी।

बतादें कि यह संयुक्त अभ्यास इसी वर्ष जनवरी में आयोजित ‘जुनिपर ओक’ अभ्यास की श्रृंखला का हिस्सा है, जो इजराइल और पूर्वी भूमध्य सागर में हुआ था। उस अभ्यास में दोनों देशों के 140 से अधिक विमानों, 12 नौसैनिक जहाजों और तोपखाने प्रणालियों ने भाग लिया था। इन अभ्यासों का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच परिचालन सहयोग को मजबूत करना और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का संयुक्त रूप से सामना करने की तैयारी करना है।

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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