Madhya Pradesh

मप्र में धान उपार्जन में फर्जीवाड़ा, ईओडब्ल्यू ने की 150 समितियों और 140 वेयरहाउस की जांच

ईओडब्ल्यू (फाइल फोटो)
ईओडब्ल्यू के अधिकारी जांच करते हुए

भोपाल, 6 मार्च (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में धान उपार्जन में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने 25 टीमों का गठन कर प्रदेशभर में कार्रवाई की है। इन टीमों ने गुरुवार को प्रदेश के 12 जिलों में 150 उपार्जन समितियों और 140 वेयर हाउस की जांच की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर की गई कार्रवाई में कई समितियों में व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमें पदाधिकारियों के साथ ट्रांसपोर्टर, वेयरहाउस और राइस मिलों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। अब तक की जांच में 19,910.53 क्विंटल धान की हेराफेरी पकड़ी गई है, जिससे शासन को करीब पांच करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।

दरअसल, शासन द्वारा धान का उपार्जन समर्थन मूल्य पर किया जाता है, लेकिन इस बार कई स्थानों पर धान उपार्जन में गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही थीं। उपार्जन समितियों, कुछ ट्रांसपोर्टर, वेयर हाउस और राइस मिलों द्वारा फर्जीवाड़ा करने की शिकायतें सामने आने के बाद पिछले दिनों मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश ईओडब्ल्यू को दिए थे। इसके बाद ईओडब्ल्यू द्वारा 25 टीमें बनाकर प्रदेशव्यापी कार्रवाई की गई। बालाघाट, जबलपुर, डिंडोरी, रीवा, सतना, मैहर, सागर, पन्ना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, श्योपुर इत्यादि 12 जिलों की 150 उपार्जन समितियों एवं 140 वेयर हाउस को चेक किया गया।

सतना जिले के कनक वेयर हाउस में 535 क्विंटल धान के स्थान पर भूसी पाई गई। वेयर हाउस में सेवा सहकारी समिति पिंडरा एवं सेवा सहकारी समिति हिरौंदी जिला सतना द्वारा धान का भण्डारण किया गया है। ईओडब्ल्यू को कई समितियों में यह भी पता चला कि किसानों का फर्जी पंजीयन कर बिना धान उपार्जित किए ही ई-उपार्जन पोर्टल पर रिकॉर्ड दर्ज कर दिया जाता था। इसके बाद ट्रांसपोर्ट और वेयरहाउस के फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी भुगतान प्राप्त किया जाता था। कार्रवाई लगातार जारी है। ईओडब्ल्यू द्वारा ट्रांसपोर्टस, वेयर हाउसेस और राइसमिलों की भूमिका के संबंध में जांच की जा रही है।

गुरुवार को ईओडब्ल्यू की टीम ने पाटन के सरोंद और भेड़ाघाट के तेवर स्थित खरीदी केंद्रों का आकस्मिक निरीक्षण किया। टीम ने धान खरीदी से जुड़े दस्तावेज जब्त किए और समितियों के कर्मचारियों से पूछताछ की। इस मामले में सोसाइटी, वेयर हाउस और ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत सामने आई है। जबलपुर जिला प्रशासन के निर्देश पर पनागर, कटंगी और मझौली थानों में एफआईआर दर्ज की गई है। मामले में 22 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें से सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार आरोपियों में समितियों के प्रबंधक, केंद्र प्रभारी, ऑपरेटर, सर्वेयर और वेयर हाउस के संचालक शामिल हैं। ईओडब्ल्यू अब यह पता लगा रही है कि जबलपुर समेत संभाग के अन्य जिलों में धान उपार्जन घोटाले में और कौन-कौन शामिल है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस घोटाले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के हक पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ईओडब्ल्यू की टीमें लगातार जांच कर रही हैं और संभावना है कि अन्य जिलों में भी बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं। इस मामले में आगे भी कई गिरफ्तारियां होने की संभावना जताई जा रही है। अब तक 79 से अधिक उपार्जन समिति पदाधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टर, वेयरहाउस और राइस मिलों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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