
जयपुर, 6 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर के बिजयनगर ब्लैकमेल कांड के पांच आरोपियों के परिजनों की संपत्ति तोडऩे पर यथास्थिति के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए मामले की सुनवाई 11 मार्च को तय की है। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश शाकीर व चार अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में सैयद सआदत अली ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं के घर के युवाओं को पुलिस ने कथित रूप से हुए ब्लैकमेल कांड में फंसाया है। अभी सभी आरोपी गिरफ्तार व न्यायिक अभिरक्षा में हैं। दूसरी ओर राज्य सरकार ने याचिकाकर्ताओं के घर नोटिस चस्पा कर कब्जा हटाने की चेतावनी दी है। याचिका में कहा गया कि यह संपत्ति मामले में गिरफ्तार किए गए युवाओं की ना होकर याचिकाकर्ताओं की है। ऐसे में उसकी संपत्ति पर कार्रवाई करना विधि विरुद्ध है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के घर पर चस्पा किए गए नोटिस ब्लैकमेल कांड में पकड़े गए युवाओं के नाम से है और उनका इन संपत्तियों पर किसी तरह का कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा संपत्ति को बिना सील किए सीधे ध्वस्त करने की कार्रवाई भी नियमों के खिलाफ है। मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए दिशा-निर्देशों की पालना भी नहीं की जा रही है। इसलिए राज्य सरकार की कार्रवाई को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए मामले में यथास्थिति के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि बिजयनगर थाने में गत 16 फरवरी को तीन एफआईआर दर्ज हुई। इनमें पांच स्कूली नाबालिग छात्राओं को ब्लैकमेल कर दुष्कर्म और धर्मान्तरण के लिए दबाव बनाने जैसे आरोप लगाए गए हैं। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने करीब एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है।
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(Udaipur Kiran)
