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अधिवक्ता संशोधन विधेयक को निरस्त करे केंद्र सरकार: कुलदीप राठौर

kuldeep rathore

शिमला, 05 मार्च (Udaipur Kiran) । अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और ठियोग के विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता कानून 1961 में किए जा रहे संशोधनों को पूरी तरह से गैरवाजिब करार दिया है और इसके खिलाफ चल रहे देशभर के अधिवक्ताओं के आंदोलन का समर्थन किया है। राठौर ने इस विधेयक को अधिवक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन और उनके पेशेवर स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए इसे निरस्त किए जाने की मांग की है।

राठौर ने बुधवार को एक बयान में कहा कि अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 न केवल अधिवक्ताओं के अधिकारों का हनन करेगा, बल्कि इससे समाज में भी गलत संदेश जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो यह न केवल अधिवक्ताओं के पेशेवर अधिकारों को कमजोर करेगा, बल्कि न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता को भी खतरे में डाल सकता है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से अधिवक्ताओं के खिलाफ है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

कुलदीप सिंह राठौर ने केंद्र सरकार से तुरंत प्रभाव से प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य अधिवक्ताओं के लिए काम करने के तरीके को नियंत्रित करना और उनके काम को सख्त नियमों के तहत लाना है, जो उनके पेशेवर स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

राठौर ने यह भी कहा कि यह विधेयक पहले से ही देशभर के अधिवक्ताओं द्वारा विरोध किया जा रहा है, और वे इसके खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि यह संघर्ष केवल अधिवक्ताओं के अधिकारों का नहीं बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान के मूल सिद्धांतों का भी है।

उन्होंने केंद्र सरकार से यह अपील की कि वह अधिवक्ताओं की आवाज को सुने और इस विधेयक को वापस ले।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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