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संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने नाहरलागुन में डोनयी पोलो न्येदर नामलो का किया दौरा

आरएसएस सरसंघचालक डॉ. भागवत नाहरलागुन में डोनयी पोलो न्येदर नामलो का दौरा करते हुए।
आरएसएस सरसंघचालक डॉ. भागवत नाहरलागुन में डोनयी पोलो न्येदर नामलो का दौरा करते हुए।

इटानगर, 02 मार्च (Udaipur Kiran) । एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध यात्रा की कड़ी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को न्यीशी जनजाति के प्रतिष्ठित स्वदेशी प्रार्थना केंद्र, डोनयी पोलो न्येदर नामलो का दौरा किया, जो अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागुन की शांत पचिन कॉलोनी में पचिन नदी के शांत तट पर स्थित है। सूर्य (डोनी) और चंद्रमा (पोलो) की पूजा के लिए समर्पित नामलो, न्यीशी समुदाय और क्षेत्र के स्वदेशी लोगों के लिए गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।

डॉ. भागवत का श्रद्धालुओं और नामलो समिति ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके आगमन पर गहरी खुशी और आभार व्यक्त किया। श्रद्धा और विनम्रता के साथ, आरएसएस सरसंघचालक ने स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ प्रार्थना समारोह में भाग लिया और नामलो के पवित्र और शांतिपूर्ण माहौल में खुद को एकाकार किया। अनुष्ठानों में उनकी उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी ने अरुणाचल प्रदेश के स्वदेशी समुदायों की सदियों पुरानी आध्यात्मिक विरासत और उनकी समय-सम्मानित परंपराओं के प्रति उनके गहरे सम्मान को उजागर किया।

डोनी पोलो न्येदर नामलो न्यीशी लोगों के लिए एक आध्यात्मिक स्तंभ के रूप में खड़ा है, जहां हर रविवार को डोनी पोलो के सम्मान में प्रार्थना और अनुष्ठान किए जाते हैं – दिव्य देवता जो सार्वभौमिक अस्तित्व, ज्ञान और प्रकृति के सामंजस्य का प्रतीक हैं। डॉ. भागवत की यात्रा न केवल आध्यात्मिक एकजुटता का संकेत थी, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के स्वदेशी समुदायों को जोड़ने वाली स्थायी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं की पुष्टि भी थी।

पूरे दौरे के दौरान, डॉ. भागवत ने नामलो पुजारियों और भक्तों के साथ सार्थक चर्चा की और उनके स्वदेशी रीति-रिवाजों और परंपराओं को संरक्षित करने के प्रति उनके समर्पण को स्वीकार किया। उन्होंने आध्यात्मिक एकता को बढ़ावा देते हुए अपने पूर्वजों की पवित्र प्रथाओं को बनाए रखने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। डॉ. भागवत ने आधुनिक आकांक्षाओं के साथ सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के संतुलन के महत्व को भी रेखांकित किया। इस बात पर जोर दिया कि डोनयी पोलो न्येदर नामलो जैसी आध्यात्मिक प्रथाएं राष्ट्र निर्माण के हमारे साझा लक्ष्य की दिशा में सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने के लिए आवश्यक हैं।

यह यात्रा विश्व शांति, समृद्धि और कल्याण के लिए हार्दिक प्रार्थनाओं के साथ संपन्न हुई, जिससे श्रद्धालु और प्रार्थना केंद्र में उपस्थित सभी लोग बहुत प्रेरित हुए। डॉ. भागवत की उपस्थिति ने स्वदेशी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं के संरक्षण के गहन महत्व और सभी के लिए सामंजस्यपूर्ण और समावेशी भविष्य को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका की पुष्टि की।

पूरे राज्य से एकत्रित हुए आरएसएस कार्यकर्ता शिविर के दो दिवसीय समापन के बाद डॉ. भागवत की आज चार दिवसीय अरुणाचल प्रदेश यात्रा समाप्त हो गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि डॉ. भागवत का आगे के प्रवास के लिए आज शाम गुवाहाटी के लिए रवाना होने का कार्यक्रम निर्धारित था।

(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश

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