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अप्रैल से जनवरी तक 11.70 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा : सीजीए रिपोर्ट

सीजीए के लोगो का प्रतीकात्मक चित्र

-जनवरी अंत में राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 का 74.5 फीसदी

नई दिल्ली, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 की (अप्रैल-जनवरी) के पहले 10 महीनों में 11.70 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो वार्षिक लक्ष्य का 74.5 फीसदी है। 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले चालू वित्‍त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 15.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है।

महालेखा नियंत्रक (सीजीए) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक वास्तविक रूप से राजकोषीय घाटा चालू वित्‍त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जनवरी अवधि में 11,69,542 करोड़ रुपये रहा। इससे पिछले वित्‍त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में राजकोषीय घाटा संशोधित अनुमान (आरई) का 63.6 फीसदी था। चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 15.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार का कर राजस्व (शुद्ध) 19.03 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्‍त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान का 74.4 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में यह 80.9 फीसदी था। आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय कुल व्यय 35.7 लाख करोड़ रुपये रहा, जो संशोधित अनुमान का 75.7 फीसदी है। पिछले वित्‍त वर्ष की इसी अवधि में यह संशोधित अनुमान का 74.7 फीसदी था।

संसद में एक फरवरी, 2025 को पेश केंद्रीय बजट में 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.8 फीसदी (पूर्व अनुमान 4.9 फीसदी से कम) और वित्‍त वर्ष 2025-26 के लिए 4.4 फीसदी आंका गया है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है। यह सरकार द्वारा आवश्यक कुल उधारी का संकेत है।

उल्‍लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में लेखा महानियंत्रक (सीजीए) भारत सरकार के प्रधान लेखा सलाहकार होता है, जो तकनीकी रूप से सुदृढ़ प्रबंधन लेखा प्रणाली की स्थापना और रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं। सीजीए का कार्यालय केंद्र सरकार के लिए व्यय, राजस्व, उधार और विभिन्न राजकोषीय संकेतकों का मासिक और वार्षिक विश्लेषण तैयार करता है।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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