
नई दिल्ली, 28 फरवरी (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने विपक्षी विधायकों के निलंबन के मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को पत्र लिखा है। आज लिखे गए इस पत्र में उन्होंने विपक्ष का परिसर में निलंबन लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन और जनता द्वारा दिए गए जनादेश का अपमान बताया।
आतिशी ने पत्र में लिखा कि मंगलवार 25 फरवरी को उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए। विपक्षी विधायकों ने बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों का सम्मान करते हुए ‘जय भीम’ के नारे लगाए। सत्ता पक्ष के किसी भी विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन विपक्ष के 21 विधायकों को ‘जय भीम’ का नारा लगाने पर सदन से तीन दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
आतिशी ने पत्र में कहा कि जब निलंबित विधायक लोकतांत्रिक तरीके से विधानसभा परिसर में गांधी की प्रतिमा के समक्ष शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने गए तो उन्हें विधानसभा के गेट से दो सौ मीटर पहले ही रोक लिया गया और परिसर में दाखिल होने से मना कर दिया गया। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन और जनता द्वारा दिए गए जनादेश का अपमान बताया।
आतिशी ने पत्र में कहा कि मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष जब विपक्ष के नेता थे, तो उन्हें सदन से निलंबित किए जाने पर भी गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने से नहीं रोका जाता था। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन नहीं है?
आतिशी ने अपने पत्र में कहा कि संसद में जब किसी सांसद को निलंबित किया जाता है तो उन्हें संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन करने की अनुमति होती है। दिल्ली विधानसभा में यह पहली बार हुआ है कि निलंबित विधायकों को परिसर में घुसने तक नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि यह कहीं भी नहीं लिखा है कि निलंबित विधायक विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते या गांधी और आंबेडकर की प्रतिमा तक नहीं जा सकते।
आतिशी ने लिखा कि विपक्ष की आवाज को दबाया जाएगा तो लोकतंत्र कैसे बच पाएगा? उन्होंने अध्यक्ष से आग्रह किया कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी विधायक को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित न किया जाए। आतिशी ने बाबासाहेब आंबेडकर के दिए गए संविधान को लोकतंत्र की नींव बताते हुए लोकतंत्र के रक्षा की मांग की।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
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