Uttrakhand

वनाग्नि रोकथाम के लिए पिरूल की कीमत 10 रुपये प्रति किलो, स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ

प्रतीकात्मक चित्र

देहरादून, 27 फरवरी (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में वनाग्नि रोकथाम और स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने चीड़ के पेड़ की पत्तियों (पिरूल) के संग्रहण की दर तीन रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी है।

संयुक्त सचिव विक्रम सिंह यादव ने बताया कि पिरूल एकत्रीकरण के लिए 10 रुपये प्रति किग्रा निर्धारित किया गया है। इससे जहां एक ओर चीड़-पिरूल के अधिकाधिक संग्रहण में स्थानीय जन-मानस की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी, वहीं वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम में स्थानीय जनता का सहयोग भी प्राप्त होगा। ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन भी हो सकेगा। साथ ही चीड़ पिरूल से बायोफ्यूल प्रोडेक्ट निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और वन क्षेत्रों से फ्यूल लोड कम होने से वनाग्नि घटनाओं में भी कमी आएगी।

देश के अन्तर्गत वनाग्नि घटनाएं मुख्य रूप से चीड़ वनों में होती है। चीड़ वृक्षों से पिरूल ग्रीष्मकाल के दौरान ही प्रचूर मात्र में वन सतह पर गिरता है। उत्तराखंड में कुल वन क्षेत्र का लगभग 15.25 प्रतिशत चीड़ वन क्षेत्र है। चीड़ वनों में होने वाली वनाग्नि की रोकथाम से सरकार ने पिरुल के दाम बढ़ाए हैं।

(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal

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