
नैनीताल, 26 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । हाईकाेर्ट में उत्तराखंड महिला मंच की डॉ. उमा भट्ट व अन्य ने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अधिनियम और उसके नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर पैरवी करेंगी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यूसीसी अधिनियम जनविरोधी, असंवैधानिक और निजता का हनन करने वाला है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून महिलाओं के साथ भेदभाव को बढ़ावा देगा और समाज में हिंसा एवं असमानता को बढावा देगा। याचिका में कहा गया कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन करता है।याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह कानून युवाओं के जीवनसाथी चुनने के अधिकार पर हमला करता है और अंतर्जातीय व अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को हिंसा व उत्पीड़न का शिकार बना सकता है। साथ ही, पुलिस एवं रजिस्ट्रार को असीमित जांच शक्तियां देकर जनता के उत्पीड़न का मार्ग प्रशस्त किया गया है।याचिका में यह भी कहा गया कि यूसीसी के तहत विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और वसीयत का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जिसमें मोबाइल नंबर दर्ज करना आवश्यक होगा। याचिकाकर्ताओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट के पुट्टास्वामी मामले में दिए गए निजता संरक्षण संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताया है।इसके अलावा, याचिका में इस प्रावधान पर भी आपत्ति जताई गई है कि यूसीसी के तहत पंजीकरण नहीं कराने पर व्यक्ति को जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभों से वंचित किया जा सकता है, जो संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों के खिलाफ है।
(Udaipur Kiran) / लता
