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निरंतर सीखने, व्यक्तिगत आचरण और दार्शनिक अंतर्दृष्टि का नेतृत्व निर्माण में बड़ा महत्व- भूपेन्द्र यादव

केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव सोल सम्मेलन को संबोधित करते हुए

नई दिल्ली, 22 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने शनिवार को स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप(सोल) लीडरशिप कॉन्क्लेव में नेतृत्व को निखारने में निरंतर सीखने, व्यक्तिगत आचरण और दार्शनिक अंतर्दृष्टि के महत्व पर जोर दिया। भारत मंडपम में आयोजित सोल सम्मेलन में

भूपेन्द्र यादव ने सतत सीखना,

सर्वोच्च नेतृत्व विकसित करने के मिशन के लिए आयोजकों को बधाई दी। इस मौके पर उन्होंने अपने गुरु के साथ काम करने का अपना अनुभव साझा किया, जो प्रसिद्धि और मान्यता के बावजूद भी सीखने और आत्म-सुधार के लिए समर्पित रहे।

केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि करियर के चरम पर भी, व्यक्तिगत विकास और नेतृत्व के लिए ज्ञान की खोज महत्वपूर्ण रहती है।

व्यक्तिगत आचरण और अनुशासन नेतृत्व के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करती है। गीता और पतंजलि के योगसूत्र सहित प्राचीन भारतीय दर्शन का जिक्र करते हुए भूपेन्द्र यादव ने कहा कि सच्चा अनुशासन बाहरी प्रथाओं से परे है और आत्मा, शरीर और समाज के बीच संतुलन पर केंद्रित है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अनुशासन केवल नियमों के बारे में नहीं है, बल्कि किसी के आंतरिक मूल्यों को उनके बाहरी कार्यों के साथ संरेखित करना है। उन्होंने कहा कि अनुशासन, मन पर नियंत्रण और अभ्यास की शक्ति के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सर्वोच्च नेतृत्व की स्थिति प्राप्त कर सकता है।

यादव ने बताया कि आज की तेज रफ्तार दुनिया में बाहरी घटनाओं और विचारों से विचलित होना आसान है। इसलिए रोजमर्रा की जिंदगी की उथल-पुथल के बीच फोकस और शांति बनाए रखने के लिए नेताओं को वैराग्य और आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करना चाहिए।

केन्द्रीय मंत्री ने योगसूत्र की दार्शनिक शिक्षाओं पर जोर देते हुए कहा कि नेतृत्व न केवल बाहरी उपलब्धियों के बारे में है, बल्कि किसी की आंतरिक यात्रा के बारे में भी है। उन्होंने स्वयं और आसपास की दुनिया के साथ गहरा, आंतरिक संबंध बनाने के महत्व पर चर्चा की, जो नेतृत्व का सार है।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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