Uttrakhand

समाज की संरचना, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक व्यवहार को गहराई से प्रभावित कर रहा है मीडिया

कार्यशाला में विचार रखते जेएनयू के प्रो. जेना।

नैनीताल, 22 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के समाजशास्त्र विभाग में ‘सोसियोलॉजिकल एनालिसिस ऑफ मीडिया एंड टेक्नोलॉजी इन कंटमपरेरी ऑर्डर’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित समाजशास्त्री प्रो. मनोज जेना ने आधुनिक समाज में मीडिया और प्रौद्योगिकी की बदलती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मीडिया अब केवल सूचना के प्रसार का माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि यह समाज की संरचना, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक व्यवहार को गहराई से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने पारंपरिक मीडिया जैसे समाचार पत्र, रेडियो और टेलीविजन से लेकर डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म तक के विकास की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। उन्होंने डिजिटल क्रांति के सामाजिक प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि डिजिटल विभाजन वैश्विक, सामाजिक और लोकतांत्रिक स्तरों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो विशेष रूप से हाशिए पर मौजूद समुदायों, जनजातीय समूहों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्रभावित करता है।

प्रो. जेना ने मीडिया निगरानी और निजता के मुद्दों पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि बड़ी कंपनियां और सरकारें किस प्रकार व्यक्तिगत डेटा का संग्रह कर लोगों के व्यवहार को प्रभावित कर रही हैं। इसके साथ ही, उन्होंने डिजिटल मीडिया के युग में सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष के समापन पर प्रो. ज्योति जोशी ने कहा कि ऐसे अकादमिक विमर्श समाजशास्त्र और अन्य सामाजिक विज्ञानों के शोधार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस अवसर पर विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. डीएस बिष्ट, प्रो. अर्चना श्रीवास्तव, डॉ. सरोज पालीवाल, प्रो. पदम सिंह बिष्ट, डॉ. अर्शी परवीन, प्रो. चंद्रकला रावत, प्रो. संजय घिल्डियाल, प्रो. जया तिवारी, प्रो. रजनीश पांडे, डॉ. नंदन बिष्ट, डॉ. हरिप्रिया पाठक व डॉ. हरीश मिश्रा सहित कई प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

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