

अमेठी, 21 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । नगर स्थित ओम् नगर,मीडिया हाउस में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर ‘मातृभाषा की महत्ता’ पर विचार संगोष्ठी का शुभारम्भ मां सरस्वती जी प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण एवं रामबदन शुक्ल ‘पथिक’ की वाणी वंदना से हुआ।
अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष अवधी साहित्य संस्थान डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि आज हमारी हिन्दी दुनिया के सैकड़ों देशों में पहुंच चुकी है,जो अन्तरराष्ट्रीय क्षितिज पर हिन्दी साहित्य प्रवासी भारतीय साहित्यकारों के द्वारा विश्वव्यापी बन चुकी है।नि:संदेह हिन्दी साहित्य का सम्वर्द्धन भाषाई समन्वय से ही संभव है।हिन्दी जनमानस की भाषा बने।हमारी नैतिक जिम्मेदारी है निज भाषा,निज क्षेत्र एवं निज राष्ट्र पर गर्व करें। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात साहित्यकार रामेश्वर सिंह निराश ने कहा कि मातृभाषा देश और विकास की रीढ़ है। साहित्य के बिना किसी भी देश का उन्नयन संभव नही है।मां भारती की दुलारी हमारी हिन्दी है,जो आज सागर से भी ज्यादा गहरी है।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवधी,ब्रजी, बुन्देली एवं बघेली को विधानसभा में स्थान देना शुभ संदेश है।मुख्य अतिथि अवधी मधुरस ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि मातृभाषा संस्कृति, संस्कार,भावना व एकता एवं समन्वय का आधार है।निज भाषा उन्नति चहे सब भाषा को मूल की भावना हम-सब में होनी चाहिए। विशिष्ट रामबदन शुक्ल पथिक’ ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि लरिका जन्मते माई का पुकार थै यही बरे मातृभाषा का महत्व है। जरूरत है देश में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिले।
प्रख्यात साहित्यकार शब्बीर अहमद सूरी ने अपने संबोधन में कहा भाषा ही वह संस्कार है,जो जनमानस को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती है। हिन्दी हिन्द की भाषा है। हिन्दी हम सबकी अभिलाषा है।अमर बहादुर सिंह ‘अमर’ ने कहा कि मातृभाषा को स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। हिन्दी भाषा देश की पारिवारिक भाषा बने। जगदम्बा तिवारी ‘मधुर’ ने अपने संबोधन में कहा कि आज हमारी हिन्दी को देश सहित दुनिया के लोग समझने लगे हैं। वह दिन दूर नही जब भारतीय संस्कृति की तरह हिन्दी का परचम दुनिया में लहरायेगा। इस संगोष्ठी में अरुण कुमार मिश्र नन्हे, डॉ अभिमन्यु कुमार पाण्डेय एवं अनिल कुमार पाण्डेय आदि दर्जनों की संख्या में लोग उपस्थित रहे। संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान से हुआ।
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(Udaipur Kiran) / लोकेश त्रिपाठी
