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सिवनी, 21फरवरी (Udaipur Kiran) । पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी के वन परिक्षेत्र खवासा बफर अंतर्गत बीट मोहगांव यादव में तीन वर्षीय एक मादा बाघ का शव मिला जिसका शुक्रवार को भष्मीकरण समिति के समक्ष मृत मादा बाघ शावक का अंतिम संस्कार किया गया है।
इस संबंध में पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह (भा.व.से.) ने बताया कि 20 फरवरी को ईको विकास समिति दुर्गापुर के अध्यक्ष के द्वारा पेंच टाइगर रिजर्व के खवासा परिक्षेत्र अंतर्गत परिक्षेत्र सहायक पिपरिया को एक बाघ शावक के शव देखे जाने की सूचना प्राप्त हुई। सूचना प्राप्त होते ही परिक्षेत्र सहायक एवं स्टाफ मौके पर पहुंचा। घटनास्थल पर पहुंचकर उन्होंने पाया कि पहाड़ी नाले के रेतीले सूखे प्रवाह क्षेत्र में एक बाघ शावक मृत अवस्था में पड़ा था और एक अन्य जीवित बाघ शावक वहीं मौके पर था जो कि मृत बाघ शावक का मांस खा रहा था। कर्मचारियों की उपस्थिति को देखकर जीवित शावक थोड़ी दूर जंगल की ओर चला गया। दोनों बाघ शावकों की आयु लगभग तीन माह थी। प्रथम दृष्टया बाघ शावक की मृत्यु प्राकृतिक लग रही थी । उक्त वनक्षेत्र पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी के वन परिक्षेत्र खवासा बफर अंतर्गत बीट मोहगांव यादव के अंतर्गत आता है।
उपसंचालक ने बताया कि घटना क्रम की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गयी सूचना पश्चात् क्षेत्र संचालक, पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी, सहायक संचालक, सिवनी क्षेत्र एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी, खवासा बफर मौके पर पहुंचे। निगरानी हेतु घटना स्थल से बिना छेड़छाड़ किये कैमरा ट्रैप लगाये गये। क्योंकि सम्भावना थी कि मादा बाघ रात में आकर जीवित बाघ शावक को अपने साथ ले जा सकती है। उक्त घटनाक्रम की रातभर निगरानी हेतु दो दलों का गठन किया गया ताकि यदि मादा बाघ जीवित शावक को अपने साथ लेने आये तो घटना स्थल की निगरानी की जा सके। रात्रि में जीवित बाघ शावक पुनः मृत बाघ शावक के पास आया एवं थोड़ी देर बाद लौट गया। परंतु मादा बाघ जीवित शावक को अपने साथ ले जाने हेतु नहीं आयी। मृत एवं जीवित शावक दोनों ही कुछ दिनों से भूखे एवं अत्यंत कमजोर लग रहे थे।
उपसंचालक ने बताया कि संभवतः शावकों के कमजोर होने के कारण मादा बाघ द्वारा उनका त्याग कर दिया गया। बाघों में यह व्यवहार अति सामान्य है, स्वस्थ शावकों पर अधिक ध्यान देने की दृष्टि से वह कमजोर एवं अशक्त शावकों का त्याग कर देती है। चूंकि बाघिन मां रात्रि में जीवित शावक को लेने नहीं आई थी एवं शावक अत्यंत कमजोर था अतः सुबह सुर्याेदय होते ही जीवित शावक का रेस्क्यू प्रारंभ किया गया। बाघ शावक समीप की झाड़ियों में बैठा हुआ मिल गया चूंकि उक्त शावक अत्यंत कमजोर था, अतः उसे रेस्क्यू करने के लिये बेहोश करना घातक हो सकता था।
उपसंचालक ने बताया कि पेंच टाइगर रिजर्व रीजनल रेस्क्यू स्क्वाड के सदस्य गुरूप्रसाद रजक ने उक्त शावक को अपने व्यवसायिक कौशल का उपयोग करते हुए बिना किसी निश्चेतक के रेस्क्यू किया। रेस्क्यू उपरांत खवासा स्थित क्वारेंटीन सेंटर एवं वन्यप्राणी अस्पताल लाकर प्रारंभिक चिकित्सा दी गई। परीक्षण में शावक का लिंग मादा पाया गया। मृत शावक का शव भी खवासा लाया गया जहॉं पर एन.टी.सी.ए. के दिशा निर्देशों के तहत शव परीक्षण कराया गया। शव परीक्षण में शावक के सभी अंग सुरक्षित पाये गये एवं प्रथम दृष्टया भूख एवं प्यास से मृत्यु होना पाया गया। एनटीसीए के दिशा निर्देशों के तहत भष्मीकरण समिति के समक्ष शावक का अंतिम संस्कार किया गया। रेस्क्यू कर लाये गये जीवित शावक का चिकित्सा परीक्षण एवं उपचार विशेषज्ञ वन्यप्राणी चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है।
(Udaipur Kiran) / रवि सनोदिया
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