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समानता लाने और असमानताओं को कम करने के लिए शासन में लैंगिक भागीदारी मौलिक है: उपराष्ट्रपति

नई दिल्लीः अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन के सम्मेलन में प्रतिनिधियों को संबोधित करते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

– उपराष्ट्रपति ने अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन के सम्मेलन को संबोधित किया

नई दिल्ली, 21 फरवरी (Udaipur Kiran) । उपराष्ट्रपति डॉ जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि शासन में लैंगिक भागीदारी समानता लाने और असमानताओं को कम करने के लिए मौलिक है। भारत शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिसने शासन में महिलाओं की संवैधानिक रूप से संरचित भागीदारी की है। उपराष्ट्रपति यहां अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन के सम्मेलन में प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांव और नगरपालिका में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं। महिला सशक्तीकरण के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायत से लेकर सभी स्तरों पर महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल की है। उन्होंने बताया कि पंचायत, सहकारिता आदि स्तरों पर चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से लाखों महिलाएं लगातार चुनी जा रही हैं। वे ग्राम पंचायत और जिला स्तर पर शासन की चुनौतियों का सामना कर रही हैं। संविधान में चुनाव को मजबूत किया गया है। यह विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज का एक कानूनी ढांचा है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है।

डॉ. धनखड़ ने बताया कि 1.5 अरब लोगों के देश में पिछले एक दशक में हर क्षेत्र में व्यापक बदलाव देखने को मिला है। इनमें शिक्षा, अर्थव्यवस्था और अन्य बुनियादी प्रतिरक्षा प्रदान करने वाले क्षेत्र जैसे इंटरनेट, बिजली, कॉकपिट गैस और शौचालय आदि प्रमुख हैं। सरकार द्वारा दो पहलुओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर परिवर्तनकारी कदम उठाए गए हैं, जिससे देश को काफी मदद मिली है और लोगों को काफी लाभ हुआ है। इनमें से एक है शिक्षा और दूसरा है लोगों का सशक्तीकरण। जब प्रति व्यक्ति इंटरनेट उपयोग की बात आती है तो भारत अमेरिका और चीन से भी आगे है। उन्होंने कहा कि जब अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण या डिजिटल हस्तांतरण की बात आती है, तो हम वैश्विक समुदायों का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। एक दशक पहले हमारी अर्थव्यवस्था वैश्विक बेंचमार्क में केवल दोहरे अंक में थी और अब हम विश्व में पांचवें स्थान पर हैं तथा अगले दो वर्षों में विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। एक समय था जब हमारे देश को अपनी वित्तीय साख बनाए रखने के लिए स्विट्जरलैंड के बैंकों में सोना जमा करना पड़ता था, उस समय विदेशी मुद्रा भंडार केवल 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यदि इसकी तुलना वर्तमान स्थिति से की जाए तो यह 7 सौ बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व के लिए एक उदाहरण है कि ग्रामीण विकास, लोगों के सशक्तीकरण आदि के क्षेत्र में अच्छी पहल का क्या प्रभाव हो सकता है। यह अभिसरण एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन का यह सम्मेलन विश्व की स्थिरता को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यदि विश्व की स्थिरता को परिभाषित करना है तो ग्रामीण क्षेत्र, कृषि और कॉर्पोरेट क्षेत्र आदि का विकास सबसे महत्वपूर्ण है। दुनिया अपने सुरक्षित अस्तित्व के लिए चुनौतियों का सामना कर रही है। जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करते हुए धनखड़ ने कहा कि यह एक ऐसा खतरा है जो हमने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से पैदा किया है, जिसके हम मालिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमने सोचा कि यह ग्रह केवल मनुष्यों के लिए है, दूसरों के लिए नहीं लेकिन इसके अलावा भी कई चुनौतियां हैं, जिनमें भूख और गरीबी शामिल हैं।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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