Uttar Pradesh

काशी-तमिल संगमम: सांस्कृतिक निशा में रामायण के अंशों पर नाट्य रूपांतरण देख श्रोता भावविभोर

सांस्कृतिक निशा

—नमोघाट पर तमिलनाडु की प्रसिद्ध नैयाण्दी मेलम की प्रस्तुति,लोग झूमे

वाराणसी, 20 फरवरी (Udaipur Kiran) । काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण के सांस्कृतिक निशा में गुरूवार शाम नमोघाट पर रामायण के अंशों पर आधारित नाट्य रूपांतरण देख श्रद्धालु भावविभोर हो गए। एस. के. चंद्राकृष्णन और उनकी टीम की प्रस्तुति में प्रभु श्रीराम की महिमा का विस्तार से बखान किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत निवेदिता शिक्षा सदन बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं के ‘खेले मसाने में होली’ और ‘आज ब्रज में होली रे रसिया’ जैसे पारंपरिक लोकगीतों व कजरी गायन से हुई। इसके बाद तमिलनाडु की यू. सी. सिंधुजा ने हरि कथा का भावपूर्ण वाचन किया। तमिलनाडु की प्रसिद्ध नैयाण्दी मेलम की प्रस्तुति भी हुई। यह एक पारंपरिक लोकनृत्य है, जिसमें मां काली के विभिन्न रूपों को नृत्य के माध्यम से जीवंत किया जाता है। इस प्रस्तुति में वाद्य यंत्रों की शानदार संगम होता है। कार्यक्रम में करगम, कावड़ी, सिल्लुकुचीअत्तम की प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें भगवान मुरुगन की स्तुति की गई। करगम नृत्य में सिर पर मटकी (करगम) रखकर देवी शक्ति की आराधना की जाती है। कावड़ी नृत्य में भगवान मुरुगन को समर्पित श्रद्धालु कंधे पर कावड़ी रखकर नृत्य करते हैं। सिल्लुकुचीअत्तम नृत्य में लकड़ी की छड़ी से लयबद्ध तरीके से प्रस्तुति दी जाती है, जिससे युद्ध कला और लय का सुंदर संयोजन देखने को मिलता है। इसके बाद सिलम्बम और कलरिपयट्टु का प्रदर्शन किया गया। सिलम्बम एक पारंपरिक युद्ध कला है, जिसमें बांस की छड़ी का प्रयोग करते हुए योद्धा अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं। कलरिपयट्टु भारत की प्राचीनतम मार्शल आर्ट है, जिसमें शारीरिक संतुलन, शक्ति और आत्मरक्षा की तकनीकों का प्रदर्शन किया जाता है। थप्पत्तम (ढोल नृत्य) और कारागत्तम नृत्य की प्रस्तुतियां भी हुईं। थप्पत्तम में ढोल की थाप पर कलाकार उत्साहपूर्वक नृत्य करते हैं, जबकि कारागत्तम देवी की आराधना के लिए सिर पर कलश रखकर किया जाने वाला पारंपरिक लोकनृत्य है, जो विशेषकर तमिलनाडु के ग्रामीण अंचलों में अत्यंत लोकप्रिय है। सभी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. वसंत कुमार और बाबा जी राजा भोसले मौजूद रहे।

—————

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

Most Popular

To Top