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उमर खालिद ने कोर्ट में कहा- सिर्फ व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा होना किसी अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं

नई दिल्ली, 20 फरवरी (Udaipur Kiran) । दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपित उमर खालिद ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि महज व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य होना किसी अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं है। जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 04 मार्च को करने का आदेश दिया।

आज सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने दिल्ली पुलिस की ओर से साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए व्हाट्स ऐप ग्रुप चैटिंग पर कहा कि उमर खालिद तीन व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल जरूर था लेकिन शायद ही किसी ग्रुप में मैसेज भेजा हो। उन्होंने कहा कि किसी व्हाट्स ऐप ग्रुप में शामिल होना भर किसी गलती का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने किसी के पूछने पर केवल विरोध स्थल का लोकेशन शेयर किया था।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि उमर खालिद जामिया अवेयरनेस व्हाट्स ऐप ग्रुप का हिस्सा नहीं था और गवाहों का ये कहना कि उमर खालिद ने इस ग्रुप को बनाया, एक सुनी-सुनाई बात है। त्रिदिप पेस ने कहा कि उमर खालिद के पास से कोर्ट ने कुछ भी बरामद नहीं किया है और न ही किसी सीसीटीवी को नष्ट किया गया है। पेस ने कहा कि उमर खालिद लंबे समय से विचाराधीन कैदी के रुप में हिरासत में है। उन्होंने कहा कि ट्रायल में देरी भी एक वजह से है जिसकी वजह से उमर खालिद को जमानत मिलनी चाहिए। पेस ने कहा कि इस मामले के जिन चार आरोपियों को जमानत मिली है उनसे समानता के आधार पर उमर खालिद को भी जमानत मिलनी चाहिए।

इसके पहले दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ट्रायल में देरी का मतलब फ्री पास नहीं है। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा था कि इस मामले में ट्रायल में देरी की वजह अभियोजन पक्ष नहीं है बल्कि ट्रायल में देरी आरोपियों की वजह से हो रही है। उन्होंने कहा था कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर सुनवाई चल रही है। आरोप तय करने के मामले में दूसरे आरोपी की ओर से दलीलें खत्म की गई है। आरोपियों की ओर से दलीलें रखने में देरी की जा रही है। चेतन शर्मा ने कहा था कि तेज ट्रायल जरुरी है लेकिन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के मामले में लंबे समय तक जेल में रखने को जमानत देने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। बता दें कि फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे।

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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