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कानपुर, 20 फरवरी (Udaipur Kiran) । रुद्राक्ष ,भस्म और शिव का नाम ही त्रिवेणी है। भगवान शिव का नाम त्रिपुंड और रुद्राक्ष यही गंगा यमुना और सरस्वती है। इनको जो धारण करते हैं वह साक्षात त्रिवेणी के दर्शन करते हैं। यह बातें गुरुवार को महाकालेश्वर मंदिर कल्यानपुर में चल रही शिव महापुराण की कथा के द्वितीय दिवस में आचार्य योगेश अवस्थी योगिराज महाराज ने कही।
उन्होंने बताया कि त्रिवेणी के स्नान करने का फल प्राप्त होता है,रुद्राक्ष की महिमा को बताते हुए महाराज ने कहा कि मांस और मदिरा वाले रुद्राक्ष को त्याग दें या जो रुद्राक्ष धारण करते हैं वह मांस और मदिरा सेवन न करें।
आचार्य ने कहा कि कथा में भस्म कैसे धारण की जाए जप विधि क्या है,ओम की उत्पत्ति ओम से ही ओम नमः शिवाय का प्रादुर्भाव हुआ ओम नमः शिवाय से त्रिपदा गायत्री से वेद और वेदों से यज्ञ यज्ञों से सभी के मनोरथ पूर्ण होते हैं। सत्संगति से विवेक की जागृति होती है और विवेक से विरक्ति और विरक्ति से अनुराग और अनुराग से परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है।
आज की कथा में उत्कर्ष चौहान,शशी कला मौर्या, कीर्ति बाजपेई, समा तिवारी, इंद्रेश चौहान, आदि सैकड़ों भक्तो ने कथा में भाग लिया।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
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