
भोपाल, 19 फरवरी (Udaipur Kiran) । परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की जमानत याचिका पर बुधवार को ईडी कोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। गुरुवार को कोर्ट जमानत पर फैसला सुना सकता है। वहीं लोकायुक्त कोर्ट में भी गुरुवार को सौरभ की जमानत याचिका पर सुनवाई की जा सकती है।
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सौरभ शर्मा के वकील ने जमानत के लिए कोर्ट में तर्क रखा कि उनके मुवक्किल की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। उनके पास से कोई जब्ती नहीं हुई। सोने और कैश से भरी कार से उनका कोई लेना देना नहीं है। जांच एजेंसियों का वह पूरा सहयोग करेंगे। उनके कहीं भी भागकर जाने की भी कोई संभावना नहीं है। लिहाजा उन्हें जमानत दिया जाना चाहिए। हालांकि, सरकारी वकील ने एडवोकेट के तर्कों का कटाक्ष करते हुए जमानत का विरोध किया। वहीं कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया है।
बता दें कि इससे पहले आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी शरद जायसवाल, चेतन सिंह गौड़ को ईडी ने सोमवार को कोर्ट में पेश किया था। दोपहर 1:22 बजे तीनों को पेश किया गया। 1.57 बजे तीनों को जेल के लिए रवाना कर दिया गया। ईडी की कस्टडी से लौटने के बाद तीनों को ब खंड स्थित बिल्डिंग सेंटर में बने तीन अलग-अलग खास बैरक में रखा गया। यहीं उन्हें पहले रखा गया था, इस बैरक के आस पास गमलों के निर्माण का काम किया जाता है।
इस बैरक में आम कैदियों को जाने की इजाजत नहीं है। तीनों को खास निगरानी में रखा गया है। तीनों के बैरक में केवल वही कैदी हैं, जो जेल प्रशासन के लिए खुफिया सूचना देने का काम करते हैं। यह कैदी तीनों की हर गतिविधि की निगरानी कर रहे हैं।
तीनों को जेल में इस तरह से रखा गया है, ताकि वे आपस में बातचीत न कर सकें। महज 45 मिनट के लिए दोपहर के समय से तीनों को बैरक से बाहर निकलने की इजाजत होती है। इस दौरान उनकी निगरानी के लिए दो प्रहरी और जेल के विश्वसनीय कैदी रहते हैं। तीनों के बैरक में आक्रामक किस्म का कोई कैदी नहीं रखा गया है। जेल के अंदर भी उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि जेल में तीनों ही अन्य कैदियों से बात करने से बचते हैं। अधिकांश समय बैरक में लेटे और बैठे हुए बिता रहे हैं।
(Udaipur Kiran) तोमर
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