
जम्मू, 18 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के नेतृत्व में राज्य का दर्जा देने के लिए आंदोलन जोर पकड़ रहा है। ऐसे में जेकेपीसीसी प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने केंद्र पर तीखा हमला किया है। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और संसद में दिए गए आश्वासनों के बावजूद राज्य का दर्जा बहाल करने में जानबूझकर देरी कर रही है। डोडा डाक बंगले में कार्यकर्ताओं की एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए कर्रा ने घोषणा की कि अगर मांग जल्द पूरी नहीं हुई तो कांग्रेस विरोध में सड़कों पर उतरने से नहीं हिचकिचाएगी।
कर्रा ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट और संसद से की गई प्रतिबद्धता एक खोखले वादे में बदल गई है जिससे जम्मू-कश्मीर के लोग अनिश्चितता में हैं। उन्होंने लगातार हो रही देरी को लोकतंत्र और संविधान के साथ क्रूर मजाक बताया और इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचित सरकार के चार महीने बाद भी वादा किया गया राज्य का दर्जा और जरूरी शक्तियां बहाल नहीं की गई हैं। रैली में पार्टी कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हमारी रियासत हमारा हक और कर्रा साहब आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं जैसे नारे लगाए और आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दिया। कार्यकर्ताओं की ऊर्जा का जवाब देते हुए कर्रा ने आश्वासन दिया कि अगर केंद्र सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है तो कांग्रेस पूरे क्षेत्र में लोगों को लामबंद करते हुए एक मजबूत आंदोलन शुरू करेगी।
भाजपा पर जनादेश खोने के बाद भी उपराज्यपाल के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पर शासन करने की इच्छा रखने का आरोप लगाते हुए कर्रा ने राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए उचित समय को परिभाषित करने में केंद्र की अनिच्छा पर सवाल उठाया। उन्होंने एनसी के साथ गठबंधन करके भाजपा को सत्ता से बाहर रखने में कांग्रेस की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और कहा कि कई वरिष्ठ नेताओं को व्यापक हित के लिए अपनी सीटों का त्याग करना पड़ा।
दिल्ली चुनावों के साथ तुलना करते हुए कर्रा ने आगाह किया कि कांग्रेस के बिना अकेले भाजपा से लड़ने का प्रयास करने वाले लोग गलती कर रहे हैं क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी को संस्थागत समर्थन और बड़े पैमाने पर वित्तीय संसाधन प्राप्त हैं। संविधान को हाथ में थामे हुए उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले कानून पर हाल ही में हुए विवाद का भी जिक्र किया जिसमें राहुल गांधी द्वारा उठाई गई चिंताओं को दोहराया गया। इसके अलावा कर्रा ने कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों की निंदा की और आरोप लगाया कि केंद्र और एलजी प्रशासन राज्य के आंदोलन के लिए भारी समर्थन को देखकर घबरा गए हैं। हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया कि कांग्रेस अडिग है और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीकों से अपना संघर्ष जारी रखेगी।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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