Uttar Pradesh

भारतीय ज्ञान परंपरा हजारों वर्ष पुरानीः महापौर गिरीशपति

भारतीय ज्ञान परंपरा हजारों वर्ष पुरानीः महापौर गिरीशपति

हनुमान जी सबसे बड़े शोधार्थीः महंत रामदास

अविवि में रिलिवेंस आफ इंडियन नालेज सिस्टम इन बिजनेस विषय पर साप्ताहिक कार्यशाला शुरू

अयोध्या, 18 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । रिलिवेंस आफ इंडियन नालेज सिस्टम इन बिजनेस विषय पर डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग में पीएम उषा के साफ्ट कंपोनेण्ट योजनान्तर्गत मंगलवार को साप्ताहिक कार्यशाला आरंभ हुई। मुख्य अतिथि नगर निगम महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी व नाका हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत रामदास ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला की शुरुआत की।

कार्यशाला को संबोधित करते हुुए महापौर ने कहा कि प्रारंभिक ज्ञान अनुभूति से आता है। ऋषियों-मुनियों ने वेद, उपनिषद और पुराणों में भारतीय ज्ञान को संरक्षित-संयोजित किया। भारतीय ज्ञान परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है, जिसमें ऋषियों-मुनियों ने अपनी तपस्या से इस ज्ञान को संयोजित किया। उन्होंने कहा कि किसी समय अयोध्या प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित थी, लेकिन नवाबकाल में जब अवध की राजधानी अयोध्या से लखनऊ बनी तब से अयोध्या का दुर्भाग्य आरंभ हुआ। सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से अयोध्या को क्षति झेलनी पड़ी। मोदी-योगी के समय में अयोध्या का गौरव गौरव पुनर्प्रतिष्ठित हुआ। अब अयोध्या अवसरों से भरी है।

विशिष्ट अतिथि महंत रामदास ने कहा कि सबसे बड़े शोधार्थी हनुमानजी थे। अपने ज्ञान से वह बचपन में ही सूर्य तक पहुंच गए, जबकि वर्तमान समय में अंतरिक्ष एजेंसियां मुश्किल से चांद पर पहुंच पाती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ नौकरी से काम नहीं चलेगा। अब व्यवसाय के अनेक अवसर है, लेकिन सर्वे भवंतु सुखिनरू के भाव से। उन्होंने कहा कि धन कमाने का उद्देश्य अवश्य रखें, लेकिन इतना भी संचय नहीं करें कि अगली पीढ़ी कोई काम नहीं करे। इससे पहले विभागाध्यक्ष प्रो. हिमांशु शेखर सिंह ने विषय प्रवर्तन किया। कहा, भारतीय परंपरा में प्रत्येक कार्य की अपनी महत्ता है। सुबह उठते हैं तो पृथ्वी का पूजन, भोजन का पूजन आदि का विधान है। प्रो. शैलेंद्र वर्मा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कहा, भारतीय ज्ञान परंपरा अद्भुत है।

(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय

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