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कोलकाता, 18 फरवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य गीत ‘बंगालार माटी, बंगालार जल’ के मूल शब्दों को बहाल करने का फैसला लिया है। राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा जारी निर्देशिका में स्पष्ट किया गया कि राज्य गीत में ‘बंगला’ शब्द हटाकर फिर से ‘बंगाली’ शब्द रखा जाएगा।
राज्य सरकार ने 2023 में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर ‘पोइला बैशाख’ को राज्य दिवस घोषित किया था और इसी के साथ रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित इस गीत को राज्य गीत के रूप में मान्यता दी थी। हालांकि, दिसंबर 2023 में कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान गीत के मूल शब्दों में बदलाव कर ‘बंगाली’ की जगह ‘बंगाल’ कर दिया गया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया था।
इस बदलाव की आलोचना हुई, क्योंकि मूल गीत में ‘बंगालीर प्राण, बंगालीर मन, बंगालीर घोरे जत भाइ बोन’ था, जिसे बदलकर ‘बंगालर प्राण, बंगालर मन, बंगालर घोरे जत भाइ बोन’ कर दिया गया था। अब नई निर्देशिका में पुनः ‘बंगाली’ शब्द को बहाल कर दिया गया है।
निर्देशिका में कहा गया है कि राज्य गीत को एक मिनट के भीतर पूरा करना होगा और इसे गाने के दौरान खड़े होने को ‘उत्साहवर्धक’ बताया गया है, हालांकि इसे अनिवार्य नहीं किया गया है। यह बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश में रवींद्रनाथ ठाकुर और जीवनानंद दास से जुड़ी विरासत को हटाने की घटनाएं हो रही हैं।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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