
उदयपुर, 17 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । श्रीमद् दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास, उदयपुर की ओर से 23 फरवरी को महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर ‘रन फॉर ट्रूथ’ सहित विभिन्न आयोजन होंगे। इसकी व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।
तैयारियों के तहत आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए न्यास के अध्यक्ष अशोक आर्य ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन और योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उनके विचार केवल धार्मिक सुधार तक सीमित नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक पुनर्जागरण के भी प्रबल समर्थक थे।
इस विशेष आयोजन के तहत ‘रन फॉर ट्रूथ’ (Run for Truth) प्रेरणादायी दौड़ का आयोजन किया जाएगा।
यह दौड़ सत्य, स्वाधीनता और आध्यात्मिक जागरूकता के संदेश को फैलाने के लिए समर्पित होगी। महर्षि दयानंद ने अपने जीवन में सत्य की खोज और उसके प्रचार-प्रसार को सर्वोपरि माना था, और यह दौड़ उन्हीं मूल्यों को समाज तक पहुंचाने का एक प्रयास है।
नवलखा महल कल्चरल सेंटर यूथ विंग की संयोजिका ऋचा पीयूष ने बताया कि दौड़ के लिए रजिस्ट्रेशन प्रारंभ हो चुका है, जिसमें प्रतिभागियों को बिना किसी शुल्क के पंजीकरण की सुविधा दी जा रही है। यह दौड़ 23 फरवरी को प्रातः 7 बजे फतेहसागर झील स्थित एक्वेरियम के निकट से प्रारंभ होगी और पी. पी. सिंघल मार्ग तक जाकर वापस इसी स्थान पर समाप्त होगी। प्रतिभागियों को ‘प्रथम आओ, प्रथम पाओ’ के आधार पर विशेष छपी हुई शर्ट प्रदान की जाएगी।
कार्यक्रम के संयोजक न्यास के संयुक्त मंत्री डॉ. अमृतलाल तापड़िया ने बताया कि रन फॉर ट्रूथ के अतिरिक्त एक विशाल यज्ञ का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग भाग ले सकेंगे। इस दौरान महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों को प्रसारित करने के लिए विशेष व्याख्यान सत्र भी होंगे।
न्यास के अध्यक्ष अशोक आर्य ने यह भी उल्लेख किया कि महर्षि दयानंद सरस्वती (1825-1883) भारतीय समाज सुधारक, आर्य समाज के संस्थापक और वेदों के महान व्याख्याता थे। उन्होंने अंधविश्वास, मूर्तिपूजा, जातिवाद और कर्मकांडों के विरुद्ध अपने विचार प्रस्तुत किए और समाज को इन कुरीतियों से मुक्त कराने के लिए अथक परिश्रम किया। उन्होंने यह भी कहा कि उदयपुर का महर्षि दयानंद जी के जीवन में विशेष स्थान है, क्योंकि यहीं पर उन्होंने अपने कालजयी ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ की रचना की थी। यह ग्रंथ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी विचारधारा का संकलन है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार आंदोलनों को प्रेरित किया।
न्यास के मंत्री भवानी दास आर्य ने समाज के सभी नागरिकों से इस ऐतिहासिक आयोजन में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया। बैठक में न्यास पुरोहित नवनीत आर्य, नवलखा महल सांस्कृतिक केंद्र युवा प्रकोष्ठ की भाग्यश्री शर्मा, कपिल सोनी, आदर्श गर्ग, जयेश पीयूष, चिरायु पीयूष, दुर्गा गोरमात, करिश्मा शर्मा, दिव्येश सुथार एवं अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) / सुनीता
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