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गवाह को मानव टेप रिकॉर्डर समझना बेमानी
डकैती व हत्या आरोपी की उम्रकैद की सजा पर हस्तक्षेप करने से इंकार
प्रयागराज,16 फरवरी (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटा जिले में 1982 में हुई डकैती और हत्या मामले के दोषी की सजा बरकरार रखी है और जमानत निरस्त कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला तथा न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने रक्षपाल और एक अन्य की अपील पर दिया।
एटा के जैथरा थानांतर्गत गांव नगला हिम्मत में 25 जुलाई 1982 की मध्य रात को शिवराज सिंह के घर डकैती हुई। शिकायतकर्ता के भाई जौहरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। रक्षपाल सहित अन्य पर डकैती व रात में घर में घुसकर हत्या करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराया गया। ट्रायल कोर्ट ने डकैती व हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई । इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एटा की 10 मई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार अपीलकर्ता जगदीश की मौत हो चुकी है और अब केवल रक्षपाल की ही अपील बची हुई है।
दलील दी गई कि सभी चश्मदीद गवाह मृतक के निकट संबंधी हैं। अभियोजन को कुछ स्वतंत्र गवाह प्रस्तुत करना चाहिए था।
न्यायालय ने कहा कि कोई गवाह रिश्तेदार है तो केवल इस आधार पर गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता। रिश्तेदार होने से कोई गवाह पक्षपाती नहीं हो जाता है। चश्मदीद गवाह को केवल पीड़ित के साथ उसके संबंध के चलते खारिज नहीं किया जाना चाहिए। न्यायालय को उनके बयानों की विश्वसनीयता और सुसंगतता का आकलन करना चाहिए न कि उन्हें अविश्वनीय करार देना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि आम तौर पर लोग किसी बातचीत को सही याद नहीं रख सकते और न ही पूर्व में दिए गए बयान को शब्दश: दोहरा सकते हैं। वे केवल बातचीत के मुख्य उद्देश्य याद रख सकते हैं। एक गवाह से मानव टेप रिकॉर्डर होने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने कहा कि हम पाते हैं कि वर्तमान मामले में घटना रात में हुई। दो प्रत्यक्षदर्शी गवाहों में एक मृतक का सगा भाई शिवराज और एक पिता रामचंद्र है। प्रत्यक्षदर्शी रामनाथ उसका पड़ोसी है, जो आवाज सुनकर मौके पर पहुंचा था। तीनों गवाहों ने स्पष्ट रूप से कहा कि आरोपी उसके परिचित थे और अपीलकर्ता रक्षपाल के हाथ में देशी पिस्तौल थी। रक्षपाल का बयान कि उसे झूठा फंसाया गया है प्रमाणित नहीं हुआ। न्यायायल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले में कोई बड़ी या कानूनी त्रुटि नहीं पाई। न्यायालय ने अपील खारिज कर दी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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