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वकीलों से मारपीट मामले में पुलिस अधिकारी को भी पक्षकार बनाने का हाईकाेर्ट ने दिया निर्देश 

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

-बार एसोसिएशन ने कोर्ट में दाखिल की घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग -मंडलायुक्त, पुलिस कमिश्नर, डीएम, मेलाधिकारी, डीसीपी ट्रैफिक ने दाखिल किया जवाब

प्रयागराज, 14 फरवरी (Udaipur Kiran) । कुम्भ मेले के दौरान यातायात जाम को लेकर पुलिस द्वारा वकीलों की पिटाई के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों से अभद्रता करने के आरोपी पुलिस अधिकारी को व्यक्तिगत पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। इस मामले को लेकर कायम जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने उक्त अधिकारी पर तीखे आरोप लगाए। कहा कि अधिकारी ने वकीलों से अभद्रता की सारी हदें पार कर दी।

इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने उनको याचिका में पक्षकार बनाया तो अनिल तिवारी का कहना था कि किसी को व्यक्तिगत पक्षकार नहीं बनाया गया है। कोर्ट ने उन लोगों को व्यक्तिगत पक्षकार बनाने का निर्देश दिया जिन पर बार की ओर से आरोप लगाए जा रहे हैं।

शुक्रवार को याचिका सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अनिल तिवारी ने दो पूरक हलफनामे दाखिल किए साथ ही घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग वाली पेन ड्राइव भी दाखिल की।

दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने मंडलायुक्त, पुलिस आयुक्त, मेला अधिकारी, जिलाधिकारी और पुलिस उपायुक्त यातायात का निजी हलफनामा दाखिल किया। कोर्ट ने पेन ड्राइव महानिबंधक की अभिरक्षा में सुरक्षित रखने का निर्देश दिया। कोर्ट ने बार अध्यक्ष को पीड़ितों की ओर से भी व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अनिल तिवारी ने वकीलों के साथ हुई मारपीट की घटना की सिलसिलेवार जानकारी कोर्ट को दी। अनिल तिवारी ने बताया कि जिस अधिकारी को अदालत ने याचिका में पक्षकार बनाने के लिए कहा है उसे अगली सुनवाई से पूर्व पक्षकार बना दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि गत चार फरवरी को प्रयागराज में सीएम योगी आदित्यनाथ की फ्लीट के लिए हिन्दू हॉस्टल चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाकर यातायात को रोका गया था। इसी में कुछ अधिवक्ता भी थे। वकीलों ने न्यायालय आने के लिए रास्ता देने की मांग की तो उनके साथ पुलिस द्वारा बुरी तरह मारपीट की गई । घटना को लेकर हाईकोर्ट बार ने मुख्य न्यायमूर्ति से शिकायत की थी जिस पर उन्होंने बार के पत्र को जनहित याचिका के रूप में कायम कर लिया। इससे पूर्व हाईकोर्ट ने यातायात व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांगा था। याचिका की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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