
मीरजापुर, 14 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । जनपद में शुक्रवार को आयोजित विश्व हिंदू परिषद की सामाजिक समरसता संगोष्ठी में केंद्रीय सह संगठन मंत्री विनायक राव देशपांडेय ने कहा कि वैदिक काल में भारतीय समाज में छुआछूत जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने अपनी ‘फूट डालो राज करो’ की नीति के तहत पहली बार जातियों की सूची बनाकर समाज में विभाजन पैदा किया।
श्रीपांडेय ने कहा कि महाकुंभ में आज भी जाति का कोई भेदभाव नहीं होता और सभी लोग एक ही घाट पर स्नान करते हैं। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी अपनी पुस्तक में इस बात को स्वीकार किया है। वैदिक काल में नारी शिक्षा अनिवार्य थी। वेदों में 27 विदुषी महिलाओं का उल्लेख मिलता है।
विहिप के पूर्व संगठन मंत्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि मुगल काल में भारतीय संस्कृति और समाज व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय समाज हमेशा से प्रेम, स्नेह और भाईचारे पर आधारित रहा है।
कार्यक्रम में पूर्व सांसद राम शकल, नगर विधायक रत्नाकर मिश्र, मड़िहान विधायक रमाशंकर सिंह पटेल सहित कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे। संगोष्ठी में बालेंदुमणि त्रिपाठी, पीडी द्विवेदी, रामचन्द्र शुक्ल, गोवर्द्धन त्रिपाठी समेत अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
