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नई दिल्ली, 14 फरवरी (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के खिलाफ जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से उत्तराखंड हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका पर जमीअत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अदालत में
आज के कानूनी घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत जैसे महान लोकतांत्रिक देश में धर्मनिरपेक्ष संविधान के अस्तित्व के बावजूद जिस तरह से यह कानून लाया गया है, वह पक्षपातपूर्ण और पूर्वाग्रह का प्रकटीकरण है।
मदनी ने कहा कि संविधान के कुछ प्रावधानों का हवाला देकर जिस तरह से जनजातियों को इस कानून से अलग रखा गया है, वह इस बात का प्रमाण है कि यह कानून मुसलमानों की सामाजिक और धार्मिक पहचान को कमजोर और नष्ट करने के उद्देश्य से बनाया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान में अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं, लेकिन उनका ध्यान नहीं रखा गया है। इतना ही नहीं, संविधान में आम नागरिकों को भी मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। इसलिए यह कानून नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
मौलाना मदनी ने कहा कि आज की शुरुआती सुनवाई में हमारे वकील ने जो बिंदु अदालत के सामने रखे वह बहुत ही संतोषजनक हैं। कुछ न्यायप्रिय दूसरे समुदाय के लोगों ने भी इसके खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें उन्होंने भी भेदभाव, पूर्वाग्रह और मौलिक अधिकारों का मुद्दा उठाया है। इसलिए हमें उम्मीद है कि एक अप्रैल को इस पर न केवल सकारात्मक चर्चा होगी बल्कि अदालत इस पर स्टे दे देगी। क्योंकि ऐसा कानून न केवल संविधान की सर्वोच्चता को कमजोर करता है, बल्कि संविधान द्वारा गारंटीकृत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को भी गहराई से प्रभावित करता है।
(Udaipur Kiran) /मोहय्मद ओवैस
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(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद
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