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प्रयागराज, 14 फरवरी (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गवाह संरक्षण योजना के तहत पीड़िता जान को खतरे की आशंका से आवेदन करती हैं तो उन्हें समुचित सुरक्षा दी जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला ने कविता चौधरी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। गाजियाबाद के अधिवक्ता मनोज कुमार चौधरी की 2023 में उनके कक्ष में दो हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले का अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में लम्बित मुकदमें को अलीगढ़ स्थानांतरित करने की मांग में अर्जी दाखिल की।
मृतक की पत्नी याची कविता चौधरी का कहना था कि हत्या के दो आरोपित वकालत करते हैं। उनके दबाव के चलते वह अपने मुकदमे में पैरवी के लिए कोई सक्षम वकील नहीं कर पा रही है। अभियुक्त नितिन डागर ने जेल से धमकियां दी थीं और सह-आरोपित अमित डागर और अनुज ने जेल के बाहर से धमकियां दी हैं। पीड़िता एक गरीब और पति के न होने से बेसहारा महिला है। वह अलीगढ़ में अपने पिता व भाई के साथ रह रही है। वह एक चश्मदीद गवाह है। ऐसे में उसकी जान को खतरा है। इसलिए उसे सुरक्षा दी जाए।
अदालत ने जिला न्यायाधीश गाजियाबाद से एक रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि याची महिला को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है। उसकी गवाही पहले ही हो चुकी है। यह भी बताया कि गवाहों को उनके साक्ष्य दर्ज करने के दौरान सुरक्षा प्रदान की जाएगी। न्यायालय ने कहा कि याची आरोपित से खतरे की कोई वास्तविक आशंका रिकॉर्ड में नहीं लाई।
हालांकि, पक्षकारों की सुविधा और न्याय के हित में विचार करते हुए महेंद्र चावला और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (2019) में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालना करते हुए गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत सुरक्षा की मांग करने वाले आवेदन के साथ संबंधित अधिकारियों से सम्पर्क करता है तो अधिकारियों को स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित कर मुकदमें के समापन तक आवेदक और गवाहों के लिए पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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