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कानपुर, 12 फरवरी (Udaipur Kiran) । गुरु रविदास जब इस घरती पर पैदा हुए थे, तब समाज में जात पात और रंग भेद भाव से लोग जूझ रहे थे। उन्होंने ही लोगों के प्रति हो रहे इस अत्याचार का विरोध किया। समाजवाद, धर्म निरपेक्षिता, समानता, भातृत्व का संदेश फैलाने में अहम भूमिका निभायी। गुरु रविदास ने अपने ज्ञान वाणी में कहा कि किसी मानव की पहचान उसके जन्म से नहीं बल्कि कर्म से होती है। यह बातें बुधवार को भारत रत्न व संविधान रचयिता डाॅ भीमराव अंबेडकर के पाैत्र प्रकाश राव अम्बेडकर ने कही।
सदगुरु रविदास जूलूस कमेटी, भारतीय दलित पैंथर व सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में महाप्रभु सन्त शिरोमणि गुरु रविदास का 648 वां जन्मोत्सव समारोह नानाराव पार्क कानपुर में हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया गया। इस पावन अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बाबा भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश राव अम्बेडकर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि संत रविदास एक महान सख्तसियत थे। वह हेमशा समाज की क्रूर नीतियों के तले दबे कुचले लोगों का साथ दिया था। यही कारण है उनके संघर्षों के बाद ही हमें समाज में बराबर का दर्जा मिला है। उन्होंने ही पाखण्ड वाद पर करारा प्रहार किया था। साथ ही गौतम बुद्ध की भांति समस्त मानव समाज के हित की बात अपने ज्ञान व ध्यान में रखी थी। तभी तो गुरू रविदास ने अपनी वाणी में कहा कि ऐसा चाहूँ राज मैं मिलें सवन को अन्न, छोट, बड़े सब सम बसे, रविदासहिं रहे प्रसन्न।
(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप
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