कोलकाता, 12 फरवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल सरकार ने 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा जरूरत का 20 फीसदी नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। राज्य के गैर-पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री मोहम्मद गुलाम रब्बानी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
वे एसोचैम द्वारा आयोजित छठे एनर्जी मीट एंड एक्सीलेंस अवार्ड्स में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सुविचारित रणनीतिक प्रतिबद्धता है। उन्होंने पुरुलिया में 900 मेगावाट के बांदू पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट को राज्य की अक्षय ऊर्जा नीति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया।
ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बरुण कुमार राय ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा को तेजी से अपनाने के लिए सौर, पवन और बायोमास जैसे स्रोतों को मिलाकर हाइब्रिड सिस्टम विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने की दिशा में काम कर रही है, ताकि बिजली ग्रिड और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो। इसके लिए जल संसाधन, कृषि और सिंचाई विभागों के साथ चर्चा की जा रही है।
राय ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के बढ़ते उपयोग को देखते हुए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल बायोडिग्रेडेबल कचरे से गैस उत्पादन की संभावना तलाश रहा है और इसके लिए बंगाल गैस कंपनी लिमिटेड के साथ मिलकर काम किया जाएगा।
इसके अलावा, राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में सौर ऊर्जा से संचालित रूफटॉप पैनलों के जरिए मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) पकाने की योजना बना रही है। इससे लकड़ी और एलपीजी के उपयोग को कम किया जा सकेगा।
सीईएससी लिमिटेड के वितरण निदेशक विनीत सिक्का ने कहा कि कंपनी कोलकाता में रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने में सरकार का समर्थन करेगी और अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा भंडारण के लिए बैटरी स्टोरेज समाधान में निवेश करेगी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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