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लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला: हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव का प्रार्थना पत्र 17 तक पेश करने का आदेश दिया

नैनीताल हाईकोर्ट।

नैनीताल, 11 फरवरी (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने प्रदेश में लोकायुक्त नियुक्त नहीं करने के मामले पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से कहा है कि इस मामले में मुख्य सचिव का प्रार्थना पत्र 17 फरवरी तक पेश करें। सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि लोकायुक्त नियुक्त करने के राज्यपाल के अनुमोदन पर मुख्यमंत्री की अगुवाई में एक कमेटी गठित कर ली गई है, जिसमें राज्य के मुख्य न्यायधीश भी शामिल हैं इसलिए लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए राज्य को और समय दिया जाए।

इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि पूर्व में कोर्ट ने आदेश देकर कहा था कि शीघ्र ही लोकायुक्त की नियुक्ति करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें, जो आज तक पेश नहीं की, जबकि पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर मुख्य सचिव सहित अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका हाई कोर्ट में विचारधीनन है।

मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खण्डपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की है जबकि संस्थान के नाम पर वार्षिक 2 से 3 करोड़ रुपये खर्च हो रहा है। याचिका में कहा गया कि कर्नाटक व मध्य प्रदेश में लोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है परंतु उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं। हर एक छोटे से छोटा मामला हाई कोर्ट में लाना पड़ रहा है।

जनहित याचिका में कहा कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन है, जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनैतिक नेतृत्व के हाथों में है। वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नहीं है जिसके पास यह अधिकार हो कि वह बिना शासन की पूर्वानुमति के, किसी भी राजपत्रित अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा पंजिकृत कर सके। स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के नाम पर प्रचारित किया जाने वाला विजिलेंस विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है, जिसका सम्पूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालय, सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास ही रहता है।

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(Udaipur Kiran) / लता

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